नयी दिल्ली, 19 नवंबर उद्योग मंडल एसोचैम ने निवासी करदाताओं को किए जाने वाले सभी भुगतान के लिए एक प्रतिशत या दो प्रतिशत की एकल स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) दर की वकालत की है।
एसोचैम का कहना है कि व्याख्या संबंधी मुद्दों पर मुकदमेबाजी से बचने और कर अनुपालन में सुगमता सुनिश्चित करने के लिए ऐसा करना जरूरी है।
वित्त मंत्रालय को बजट पूर्व ज्ञापन में उद्योग मंडल ने कुछ टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) चूक को अपराधमुक्त करने की बात भी की।
एसोचैम के अध्यक्ष संजय नायर ने कहा कि आपराधिक कार्यवाही केवल तभी होनी चाहिए, जब करदाता ने सरकार की कीमत पर खुद को फायदा पहुंचाया हो, न कि उन मामलों में जहां कुछ भुगतान टीडीएस लागू किए बिना किए गए हों।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि मुकदमेबाजी को कम करने, आसान और बेहतर अनुपालन के लिए कर सुधार 2025-26 के आम बजट का हिस्सा होंगे। कॉरपोरेट भारत इस संबंध में कुछ रचनात्मक सिफारिशें दे रहा है। भारतीय कंपनियां भी ऐसे उपायों की तलाश कर रही हैं, जो निवेश और खपत दोनों को बढ़ावा दें।’’
उद्योग मंडल ने इस बात पर भी जोर दिया कि विलय और विभाजन के लिए भी कर तटस्थता दी जानी चाहिए।
एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा, ‘‘लचीलेपन और अनुपालन में सुगमता के लिए उद्योग पूरी तरह कर तटस्थता की मांग कर रहा है, जिसे सभी प्रकार के इकाई रूपांतरण के लिए इकाई और मालिक, दोनों स्तरों पर दिया जाना चाहिए।''
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