नयी दिल्ली, 12 सितंबर कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि विधानसभा सत्र बुलाने में हरियाणा की भारतीय जनता पार्टी सरकार की विफलता के कारण उत्पन्न संवैधानिक संकट को टालने के लिए राज्य की विधानसभा को भंग कर दिया गया।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी यह जानते हुए भी अपने पद पर बने रहे कि उनके पास जनादेश नहीं है।
हरियाणा मंत्रिमंडल की सिफारिश के बाद राज्यपाल ने बृहस्पतिवार को विधानसभा भंग कर दी। हरियाणा विधानसभा का आखिरी सत्र गत 13 मार्च को बुलाया गया था। विधानसभा का सत्र हर 6 महीने में एक बार बुलाना जरूरी है। इस संवैधानिक संकट को टालने के लिए मंत्रिमंडल ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से विधानसभा भंग करने की सिफारिश की थी।
रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, "हरियाणा के राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण के एक दिन बाद 13 मार्च 2024 से विधानसभा सत्र बुलाने में राज्य सरकार की विफलता के कारण उत्पन्न संवैधानिक संकट को टालने के लिए आज राज्य की विधानसभा को भंग कर दिया।"
उन्होंने आरोप लगाया कि जानबूझकर छह महीने तक विधानसभा का सत्र नहीं बुलाया गया, क्योंकि एक बार विधायकों के सदन में आने से यह हमेशा के लिए साबित हो जाता कि विधानसभा में भाजपा के पास बहुमत नहीं है।
रमेश का यह भी कहना था, "मुख्यमंत्री यह जानते हुए भी अपने पद पर बने रहे कि उनके पास जनादेश नहीं है। यह एक ऐसी पार्टी द्वारा लोकतंत्र को तार-तार करना है जिसे अब समझ नहीं आता कि सत्ता पर पकड़ के बिना कैसे रहा जाए। लेकिन 8 अक्टूबर, 2024 के बाद से उनके पास नयी वास्तविकता के साथ सामंजस्य बिठाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।"
हरियाणा विधानसभा की 90 सीट पर पांच अक्टूबर को एक चरण में मतदान होगा और मतों की गिनती आठ अक्टूबर को होगी।
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