गुवाहाटी, तीन अगस्त असम सरकार ने आयुर्वेदिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए संस्कृत का ज्ञान अनिवार्य करने के लिए केंद्र को एक प्रस्ताव भेजने का फैसला किया है।
यह निर्णय बुधवार रात मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया।
राज्य सरकार ‘बैचलर ऑफ आयुर्वेद मेडिसिन एंड सर्जरी’ (बीएएमएस) में प्रवेश के लिए “संस्कृत को अनिवार्य मानदंड” बनाने के लिए केंद्रीय आयुष मंत्रालय और भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग (एनसीआईएसएम) को प्रस्ताव देगी।
शर्मा द्वारा ट्विटर पर साझा की गई एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, प्रस्ताव में यह शामिल होगा कि अभ्यर्थियों को संस्कृत विषय के साथ 10वीं कक्षा उत्तीर्ण करनी होगी।
विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि अभ्यर्थियों को विश्वविद्यालय या बोर्ड द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षाओं में 10वीं कक्षा की संस्कृत परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी और “संस्कृत के साथ 10वीं कक्षा उत्तीर्ण करने वाले” अभ्यर्थियों को शुरू में पांच साल के लिए प्राथमिकता दी जा सकती है।
दस्तावेज में कहा गया है कि असम आयुर्वेदिक शिक्षा सेवा नियम, 2023 को सरकारी आयुर्वेदिक कॉलेज और अस्पताल के शिक्षण कर्मचारियों, चिकित्सा अधिकारियों के लिए सेवा नीतियों के समान कार्यान्वयन के लिए तैयार किया जाएगा।
मंत्रिमंडल ने असम में विभिन्न स्थानों पर पांच परियोजनाओं के लिए कुल 2,963.15 करोड़ रुपये के निवेश को भी मंजूरी दी।
संबंधित कैबिनेट नोट में कहा गया, “प्रस्तावित परियोजनाएं 4,700 लोगों (1,220 प्रत्यक्ष और 3,480 अप्रत्यक्ष रूप से) के लिए रोजगार पैदा करेंगी। मेगा परियोजनाएं नौकरी के अवसर पैदा करके, स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा देने और निवेश लाने के अलावा बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाने, लोगों के जीवन स्तर में सुधार करने में मदद करके आर्थिक प्रगति को गति देंगी।”
मंत्रिमंडल ने उत्तरी गुवाहाटी में बैडमिंटन के लिए राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना के लिए भी अपनी मंजूरी दे दी।
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