संघर्षविराम सोमवार सुबह लागू हुआ और इस पर अमेरिका के सहयोग से हुई वार्ता के बाद रविवार को सहमति बनी थी।
यह इस संघर्ष को रोकने की दिशा में दीर्घकालिक संघर्षविराम का एक तीसरा प्रयास है। इससे पहले रूस की मध्यस्थता से दो बार लागू संघर्षविराम तब टूट गया था जब दोनों ओर के बलों ने एकदूसरे पर समझौते के उल्लंघन के आरोप लगाये थे।
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आजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने आरोप लगाया कि आर्मीनियाई बलों ने आजरबैजान की बस्तियों और पूरे मोर्चे पर आजरबैजान की सेना के साथ ही आर्मीनियाई-आजरबैजान सीमा पर छोटे हथियारों, मोर्टार और तोपों का इस्तेमाल करते हुए गोलाबारी की।
आर्मीनियाई सैन्य अधिकारियों ने आरोपों को खारिज किया और उलटे आजरबैजानी बलों पर नागोर्नो-काराबाख के उत्तरपूर्वी क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों पर गोलाबारी करने का आरोप लगाया।
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नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र आजरबैजान में स्थित है, लेकिन इस पर 1994 से आर्मीनिया समर्थित आर्मीनियाई जातीय समूहों का नियंत्रण है।
हाल की लड़ाई 27 सितंबर से शुरू हुई थह जिसमें भारी तोपखाने, रॉकेट और ड्रोन का इस्तेमाल किया गया । इसमें सैकड़ों लोग मारे गए हैं।
नागोर्नो-काराबाख अधिकारियों के अनुसार, अब तक की झड़पों में उनके 974 सैनिक और 37 नागरिक मारे गए हैं।
अरजरबैजान के प्राधिकारियों ने अपने सैन्य नुकसान का खुलासा नहीं किया है, लेकिन कहा है कि लड़ाई में 65 नागरिकों की मौत हो गई है और 300 घायल हुए हैं।
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