ताजा खबरें | देश विरोधी ताकतों को ‘हमारी अखंडता व संप्रभुता को प्रभावित करने’ की अनुमति नहीं दी जा सकती : धनखड़

नयी दिल्ली, नौ दिसंबर देश को अस्थिर करने के लिए अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस के साथ कांग्रेस नेताओं की ‘मिलीभगत’ के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आरोपों पर उच्च सदन में हंगामे के बीच राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि भारत के भीतर या बाहर की ताकतों को ‘हमारी एकता, अखंडता और संप्रभुता को प्रभावित करने’ की अनुमति नहीं दी जा सकती।

ऐसी सभी ताकतों का एकजुट होकर मुकाबला करने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि इन नापाक ताकतों से लड़ने के लिए देश प्रतिबद्ध है।

सभापति ने सदन में हंगामे के बीच यह भी कहा कि उन्हें यकीन है कि दोनों पक्षों के सदस्य आत्मचिंतन करेंगे और देश के सामने एक उदाहरण पेश करेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि दोनों पक्षों के सदस्य आत्मचिंतन करेंगे... और देश के सामने एक उदाहरण पेश करेंगे कि हम भारतीय पहले हैं, हमारे लिए देश सबसे पहले है। राष्ट्रवाद के प्रति हमारी प्रतिबद्धता 100 प्रतिशत होनी चाहिए। हम अपनी राष्ट्रीयता को कम नहीं होने देंगे। हम अपनी एकता, अखंडता और संप्रभुता के प्रति किसी भी चुनौती को बर्दाश्त नहीं करेंगे।’’

सदन में सोमवार को दोनों पक्षों ने हंगामा किया। सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सदस्यों ने कांग्रेस तथा उसके नेताओं पर विदेशी संगठनों और लोगों के माध्यम से देश की सरकार तथा अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने की कोशिश का आरोप लगाया और इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की।

वहीं कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने अदाणी समूह से जुड़ा मुद्दा उठाने की कोशिश करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

सभापति ने कहा, ‘‘मैंने अपने कक्ष में सदन के नेता और विपक्ष के नेता के साथ बैठक की थी। बैठक का मकसद यह सुनिश्चित करना था कि सदन सुचारू रूप से चले। दोनों पक्ष और कुछ अन्य नेता भी बैठक में मौजूद थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘दोनों पक्षों ने खुलकर चर्चा की और उन्होंने दो बातें बताईं। एक, देश की अखंडता व संप्रभुता हमारे लिए पवित्र है। हम देश के अंदर या बाहर किसी भी ताकत को हमारी एकता, हमारी अखंडता और हमारी संप्रभुता को प्रभावित करने की अनुमति नहीं दे सकते। नेताओं ने खुलकर चर्चा की। वे कल सुबह 10.30 बजे मेरे कक्ष में मिलने के लिए सहमत हुए हैं। मैं सदन के सभी सदस्यों से अपील करूंगा कि वे संविधान की शपथ पर ध्यान से विचार करें।’’

सभापति ने कहा कि उनकी शपथ बहुत विशिष्ट है और उन्हें प्राथमिकता के आधार पर देश की अखंडता सुनिश्चित करनी है। उन्होंने कहा, ‘‘देश की एकता, और अखंडता के लिए कोई भी चुनौती... हम सभी को एकजुट होकर मुकाबला करने की आवश्यकता है। यह किसी एक वर्ग या दूसरे को चुनौती नहीं है।’’

धनखड़ ने कहा, ‘‘यह हमारे अस्तित्व के लिए ही चुनौती है। हम एक राष्ट्र के रूप में इन नापाक ताकतों से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ऐसी ताकतें जिनका रवैया भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण है।’’

उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण क्षण में जब देश गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है, इस सदन को बड़े पैमाने पर लोगों को प्रेरित करने के लिए एकजुट आवाज उठानी चाहिए ताकि ऐसी ताकतों को हराया जा सके।

धनखड़ ने कहा कि सदस्यों का आचरण ऐसा होना चाहिए जिससे लोगों की संसद में अधिक रुचि हो क्योंकि अगर संसद में संवाद आम लोगों की भावनाओं को साझा नहीं करेगा तो संसद अप्रासंगिक हो जाएगी।

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