ताजा खबरें | जानवरों, पेड़ों की गणना हो सकती है तो ओबीसी जनगणना क्यों नहीं: कांग्रेस सांसद

नयी दिल्ली, 19 मार्च राज्यसभा में कांग्रेस के एक सदस्य ने शुक्रवार को अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) की जनगणना में हो रही देरी का मुद्दा उठाया और सरकार पर यह कहते हुए तंज कसा कि वह यदि जानवरों और पेड़ों की भी गणना करा सकती है तो ओबीसी की क्यों नहीं?

शून्यकाल में इस मामले को उठाते हुए कांग्रेस के राजीव सातव ने सरकार से जल्द से जल्द ओबीसी जनगणना करने की मांग करने की।

उन्होंने कहा कि लंबे समय से ओबीसी जनगणना की मांग हो रही है और भाजपा के दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे ने भी मजबूती से इस मांग को लोकसभा में कई बार उठाया था।

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार जब जानवरों की गणना कर सकती है, पेड़ों की गणना कर सकती है तो समाज के इस महत्वपूर्ण घटक ओबीसी की क्यों नहीं? इस बारे में सरकार ने 2018 में आश्वस्त किया था। वर्ष 2019 में भी सरकार ने कहा था कि हम जनगणना की दिशा में जा रहे हैं। अभी देखा गया कि उसमें ओबीसी का कॉलम हटा दिया गया है।’’

सातव ने कहा कि ओबीसी को सही लाभ देना है तो उनकी जनगणना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जनगणना होगी तभी सही मायनों में पता चल पाएगा कि उन्हें सरकारी योजनाओं और नीतियों का कितना लाभ मिल रहा है और नहीं मिल रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए ओबीसी की जनगणना के बारे में सरकार को तुरंत सोचना चाहिए।’’

शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी ने शून्यकाल में कोविड-19 से जुड़ा मुद्दा उठाते हुए कहा कि इसके लिए टीकाकरण के दूसरे चरण में गंभीर बीमारियों से ग्रसित 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को तो शामिल किया गया लेकिन सरकार के दिशा-निर्देशों के मुताबिक दमा और मोटापा को गंभीर बीमारियों की श्रेणियों में नहीं रखा गया है।

उन्होंने कहा कि कोविड से होने वाली मौतों में दमा और मोटापा बड़े कारक बनकर उभरे हैं। उन्होंने सरकार से इस पर विचार करने का मांग की।

चतुर्वेदी ने इसके साथ ही साधु संतों को टीकाकरण में प्राथमिकता देने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि कई साधु-संतों के पास आधार कार्ड भी नहीं होता और वे देश के विभिन्न हिस्सों में भ्रमण करते रहते हैं। ऐसे में उनका टीकाकरण आवश्यक हो जाता है।

उन्होंने देश में सभी के लिए जल्द से जल्द टीकाकरण की शुरुआत करने की भी मांग उठाई।

वाईएसआर कांग्रेस के अयोध्या रामी रेड्डी ने विशाखापट्टनम इस्पात संयंत्र के निजीकरण का मामला उठाया और इस पर तत्काल रोक लगाने की मांग की।

उन्होंने कहा, ‘‘आंध्र प्रदेश की सरकार विशाखापट्टनम स्टील प्लांट में विनिवेश का विरोध कर रही है क्योंकि यह राष्ट्रीय संपत्ति है और लोगों की भावनाओं से जुड़ा है। इसके विनिवेश पर रोक लगाई जाए।’’

बिहार से कांग्रेस के सदस्य अखिलेश प्रसाद सिंह ने रसोई गैस की बढ़ी कीमतों पर चिंता जताते हुए इसे वापस लेने की मांग की।

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले साल नवंबर में रसोई गैस की कीमत 594 रुपये थी जो आज बढ़कर 809 रुपये हो गई है। पिछले तीन महीने में रसोई गैस की कीमतों में 225 रुपये की वृद्धि हुई है। कीमतों में वृद्धि से गरीब लोग इंधन के पारंपरिक स्रोतों की ओर लौट रहे हैं।’’

भाजपा के जे एम लाखंडवाला ने दूध में मिलावट पर चिंता जताई और इससे हो रही बीमारियों का उल्लेख करते हुए मिलावटखोरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।

भाजपा के ही वरिष्ठ सदस्य ओम माथुर ने राजस्थान के जवाई बांध के पुनर्भरण का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि यह बांध ना सिर्फ पश्चिमी राजस्थान बल्कि प्रदेश के मारवाड़ क्षेत्र की जीवनरेखा है। उन्होंने कहा कि साबरमती नदी का अधिशेष पानी इस बांध में लाने की योजना बनी थी और इस मद में 12 करोड़ रुपये जारी भी हो गए थे लेकिन अब तक इस पर ध्यान नहीं दिया गया।

उन्होंने कहा कि पुनर्भरण ना होने से क्षेत्र के किसानों को सिंचाई की बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

राजस्थान से ही कांग्रेस के सदस्य नीरज डांगी ने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग की।

बीजू जनता दल के सदस्य सुजीत कुमार ने कैंसर की दवाओं पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की मौजूदा 12 प्रतिशत को दर को कम करने की मांग की।

भाजपा के जी वी एल नरसिम्हा राव ने मासला निर्यातकों को आ रही दिक्कतों का मामला उठाया और सरकार से उनके लिए ‘‘हेल्प डेस्क’’ स्थापित करने की मांग की।

समाजवादी पार्टी के सुखराम सिंह यादव ने अनुकंपा नियुक्तियों में होने वाली विलंब का मुद्दा उठाया और सरकार से इस दिशा में विशेष अभियान चलाकर निश्चित समयावधि में मामलों का निपटारा करने की मांग की।

ब्रजेन्द्र

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)