तिरुपति, 10 मार्च आंध्र प्रदेश के नंद्याला जिले में मिले चार बाघ शावकों को उनकी मां से मिलाने में नाकाम रहने के बाद राज्य के वन विभाग ने उन्हें तिरुपति के चिड़ियाघर में सुरक्षित रूप से स्थानांतरित कर दिया है। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि चारों मादा शावक चार दिन पहले नंद्याला के गुम्मदापुरम गांव में मिली थीं और उन्हें तिरुपति चिड़ियाघर में सुरक्षित पहुंचा दिया गया है।
नागार्जुनसागर श्रीशैलम बाघ अभयारण्य (एनएसटीआर) के आत्माकुर वन्यजीव प्रभाग के उपनिदेशक एलन टेरोन ने कहा, “बाघ शावकों को सुरक्षित रूप से तिरुपति चिड़ियाघर के अधिकारियों के सुपुर्द कर दिया गया है।”
टेरोन ने बताया कि शावकों को उनकी मां से मिलाने में नाकाम रहने के बाद वन विभाग ने बृहस्पतिवार को प्रमुख वन संरक्षक और मुख्य वन्यजीव संरक्षक के निर्देश पर उन्हें श्री वेंकटेश्वर प्राणी उद्यान (एसवीजेडपी) के एक पशु संरक्षण केंद्र में स्थानांतरित करने का फैसला लिया था।
अधिकारियों के मुताबिक, वन विभाग के एक काफिले ने बाघ शावकों को लकड़ी के जालीदार बक्सों में लादकर तिरुपति स्थित एसवीजेडपी पहुंचाया। उन्होंने बताया कि बिछड़े शावकों को उनकी मां द्वारा अपनाने या ठुकराने के लिहाज से अहम 48 घंटे की समयसीमा समाप्त होने के बावजूद विभाग को अपेक्षित सफलता नहीं मिली और शावकों को एसवीजेडपी ले जाना पड़ा।
सोमवार को शौच के लिए जा रहे एक ग्रामीण को चारों शावक मिले थे। उसने वन विभाग को इस बारे में सूचित किया था। विभाग को 48 घंटे की समयसीमा पूरी होने के बावजूद शावकों पर अंतिम फैसला लेने में 40 घंटे से अधिक का वक्त लगा।
टेरोन ने कहा कि एसवीजेडपी स्थित पशु संरक्षण केंद्र मौजूदा समय में लगभग खाली है और बाघ शावकों के लिए एक उपयुक्त आशियाना साबित होगा।
हालांकि, वन विभाग चारों शावकों को चिड़ियाघर में रखने के बजाय जंगल में छोड़ने का इच्छुक है।
टेरोन ने बताया कि चारों बाघ शावकों की उम्र तीन महीने के आसपास आंकी गई है और वन विभाग उनकी देखरेख में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा बेसहारा शावकों की देखभाल के लिए निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन कर रहा है।
टेरोन ने बताया कि वन विभाग की देखरेख में शावक अच्छी स्थिति में थे और उन्हें चिकन का मसला हुआ जिगर, बिना शक्कर वाला पशु दूध, ओआरएस घोल और मल्टीविटामिन दवाएं जैसी चीजें खिलाई-पिलाई जा रही हैं।
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