नयी दिल्ली, 21 जुलाई विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दलों ने संसद के मानसून सत्र के दूसरे दिन भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आग्रह किया कि वह मणिपुर की हिंसा के विषय पर सदन के भीतर बयान दें।
विपक्षी दलों का यह आरोप भी है कि सरकार मणिपुर के संदर्भ में प्रधानमंत्री के बयान और चर्चा की उनकी मांग को स्वीकार नहीं कर रही है जिस वजह से दोनों सदनों में गतिरोध बना हुआ है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘आज ‘इंडिया’ के दलों ने एक बार फिर मांग की कि प्रधानमंत्री को संसद में मणिपुर में तीन मई से लगातार चल रही त्रासदी पर बयान देना चाहिए, जिसके बाद दोनों सदनों में चर्चा हो। इसे आज फिर नामंज़ूर कर दिया गया।’’
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मणिपुर के मामले पर सदन के बाहर बयान देकर संसदीय परंपरा को तोड़ा है।
उन्होंने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘जब संसद का सत्र चल रहा हो तो मंत्री सदन के बाहर बयान नहीं देते। यह परंपरा रही है। लेकिन इस परंपरा को तोड़ते हुए प्रधानमंत्री ने मणिपुर के बारे में सदन के से बाहर बयान दिया। 80 दिनों के बाद उनकी कुंभकर्ण वाली नींद टूटी, लेकिन वह सदन के बाहर बोले।’’
आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने कहा, ‘‘हम प्रधानमंत्री से कहना चाहते हैं कि पहले सदन में चर्चा कराइए, मणिपुर की स्थिति के बारे में सदन को अवगत कराइए। अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाए।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार मणिपुर में अपनी जिम्मेदारी निभाने में पूरी तरह विफल रही है।
राष्ट्रीय जनता दल के राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराए जाने की घटना का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘आजाद हिंदुस्तान में इस तरह की छवियां हमने नहीं देखी। इस तरह की छवियों से संसदीय लोकतंत्र सुरक्षित नहीं रह सकता। इन छवियों का खात्मा होना चाहिए। इसके लिए आप (प्रधानमंत्री) बयान दें और फिर हम चर्चा करें।’’
उन्होंने कहा कि लंबी लकीर खींची जानी चाहिए ताकि किसी की हिम्मत नहीं हो कि भविष्य में ऐसी हरकत को अंजाम दे।
शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि प्रधानमंत्री संसद के भीतर बयान दें। हम चाहते हैं कि वह सांसदों के समक्ष बयान दें ताकि सभी सदस्यों के क्षेत्रों के लोग सुन सकें कि मणिपुर की हिंसा पर प्रधानमंत्री का क्या कहना है।’’
संसद का मानसून सत्र शुरू होने से पहले, बृहस्पतिवार को मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि इस मामले में कानून सख्ती से एक के बाद एक कदम उठाएगा।
उन्होंने कहा था, ‘‘मणिपुर की बेटियों के साथ जो हुआ है… इसके दोषियों को कभी माफ नहीं किया जा सकता।’’
मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने का वीडियो बुधवार को सामने आने के बाद राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया। अधिकारियों ने बताया कि यह वीडियो चार मई का है।
राज्य में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर मेइती समुदाय द्वारा पहाड़ी जिलों में तीन मई को आयोजित ‘ट्राइबल सॉलिडारिटी मार्च’ (आदिवासी एकजुटता मार्च) वाले दिन मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क गई थी और अभी तक इसमें 150 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।
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