देश की खबरें | सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों के लिए एंबुलेंस तैयार, सड़कों की मरम्मत की जा रही

उत्तरकाशी (उत्तराखंड), 28 नवंबर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में निर्माणाधीश सिलक्यारा सुंरग के मलबे की खुदाई में सफलता हासिल करने में महज पांच मीटर की दूरी शेष रहने के बीच, अंदर फंसे हुए श्रमिकों को सुरंग से निकाले जाने के बाद उन्हें तुरंत चिकित्सकीय मदद के वास्ते अस्पताल पहुंचाने के लिए मंगलवार को तैयारियां जारी हैं।

श्रमिकों के बाहर आते ही उन्हें चिकित्सकीय सुविधा मुहैया कराने के लिए घटनास्थल से 30 किलोमीटर दूर चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 41 बिस्तरों का अस्पताल तैयार किया गया है।

पिछले एक पखवाड़े में भारी वाहनों की नियमित आवाजाही के कारण ऊबड़-खाबड़ हो चुकी सुरंग के बाहर की सड़क की मरम्मत की जा रही है और एंबुलेंस की सुचारू आवाजाही के लिए मिट्टी की एक नयी परत बिछाई जा रही है।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने सुरंग के बाहर सुरक्षा कर्मियों को निर्देश दिया कि जैसे ही श्रमिक उनके लिए तैयार किए जा रहे निकासी मार्ग से बाहर आना शुरू करें, वे तुरंत कार्रवाई में जुट जाएं।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को कहा कि सिलक्यारा सुरंग में मलबे को भेदकर 52 मीटर तक पाइप डाले गए हैं। वहां फंसे 41 श्रमिकों को बचाने का प्रयास 17वें दिन भी जारी है।

उन्होंने सिलक्यारा में संवाददाताओं से कहा कि सफलता मलबे में 57 मीटर की दूरी पर पहुंचने पर मिलेगी।

बचावकर्मियों को श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए रैट-होल खनन तकनीक का उपयोग करके मलबे को खोदना होगा। यह ड्रिलिंग पहले एक बड़ी ऑगर मशीन से की गई थी जो शुक्रवार को करीब 47 मीटर नीचे मलबे में फंस गई थी।

कुशल श्रमिकों की एक टीम ने सोमवार को ‘रैट-होल’ खनन तकनीक का उपयोग करके हाथ से मलबे को हटाना शुरू किया, जबकि 800 मिलीमीटर व्यास वाले पाइपों को एक ऑगर मशीन द्वारा मलबे को भेदकर आगे धकेला जा रहा है।

धामी ने कहा, ‘‘पाइप 52 मीटर तक अंदर चला गया है। पहले यह 51 मीटर पर था। मेरे वहां रहने तक पाइप को एक मीटर आगे बढ़ाया गया था। इसे दो मीटर और अंदर धकेल तक 54 मीटर तक पहुंचाया जाएगा जिसके बाद एक और पाइप बिछाया जाएगा।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या रास्ते में कोई बाधाएं हैं तो उन्होंने कहा कि अभी तो स्टील और लोहे के गर्डर से सामना नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मार्ग में पत्थर आ रहे हैं लेकिन उन्हें कटर की मदद से तोड़ा जा रहा है।’’

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