प्रदेश के ग्रीन-ऑरेंज जोन में स्टेशनरी दुकानें खोलने की अनुमति दें : योगी ने जिलाधिकारियों से कहा
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लखनऊ, छह मई मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को अदालत परिसरों को संक्रमण मुक्त करते हुए वहां सुरक्षा, इंफ्रारेड थर्मामीटर, थर्मल स्कैनर और सेनेटाइजर की व्यवस्था करने और जिलों के सभी ग्रीन तथा ऑरेंज जोन में स्टेशनरी की दुकानें खोलने की अनुमति देने का निर्देश जारी किया।

रोजगार की संभावनाओं को चिह्नित करने का निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘एमएसएमई क्षेत्र की इकाइयां प्रदेश के औद्योगिक विकास की रीढ़ हैं, इनकी हर सम्भव सहायता की जाए। उद्यमों को पूरी सतर्कता और सावधानी बरतते हुए संचालित कराया जाए।’’ उन्होंने राजस्व वृद्धि से जुड़े प्रकरणों में तेजी से निर्णय लेने का भी निर्देश दिया।

मुख्यमंत्री अपने सरकारी आवास पर आज एक उच्चस्तरीय बैठक में लॉकडाउन व्यवस्था की समीक्षा कर रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘एम्बुलेंस चालकों, उसमें तैनात अन्य कर्मियों को दस्ताने और मास्क उपलब्ध कराए जाएं। नॉन-कोविड-19 अस्पतालों में आपात सेवाओं के संचालन के लिए डॉक्टरों सहित चिकित्सा कर्मियों की पूरी टीम को संक्रमण से बचाव का प्रशिक्षण दिया जाए। उन्हें पीपीई (व्यक्ति सुरक्षा उपकरण) अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराए जाएं। अस्पतालों में मेडिकल इंफेक्शन (डॉक्टर से मरीज या मरीज से डॉक्टर को होने वाला संक्रमण) से बचाव सम्बन्धी प्रोटोकॉल का पालन हों। यह सुनिश्चित किया जाए कि पीपीई किट, एन-95 मास्क और सेनेटाइजर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हों।’’

मुख्यमंत्री ने बताया कि टेलीफोन के माध्यम से लोगों को चिकित्सा परामर्श उपलब्ध कराने के लिए टेलीमेडिसिन व्यवस्था को सुदृढ़ किया गया है, ई-अस्पताल को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने ई-अस्पताल तथा टेलीमेडिसिन सेवाओं के प्रभावी संचालन के निर्देश दिए हैं।

उन्होंने सभी जिलाधिकारियों और संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि अदालत परिसरों को सेनेटाइज करके वहां, सुरक्षा, इंफ्रारेड थर्मामीटर, थर्मल स्कैनर तथा सेनेटाइजर की व्यवस्था की जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी ग्रीन और ऑरेंज जोन में स्टेशनरी (किताब कॉपी आदि) की दुकानों को खोलने की अनुमति दी जाए, मण्डियों में संक्रमण रोकने के लिए सामाजिक दूरी के नियम का कड़ाई से पालन कराते हुए मास्क और दस्तानों का प्रयोग अनिवार्य किया जाए।

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि प्रवासी कामगारों और श्रमिकों को दुग्ध समितियों से जोड़ते हुए उन्हें आर्थिक रूप से स्वावलम्बी बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में दुग्ध समितियों के गठन का गंभीर प्रयास किया जाए।

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