प्रयागराज, 22 सितंबर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि के विरोध में चल रहे छात्र आंदोलन का इस विश्वविद्यालय के एक सहायक प्रोफेसर ने बृहस्पतिवार को यह कहते हुए समर्थन किया कि फीस वृद्धि संविधान की आत्मा के खिलाफ है।
यहां छात्रसंघ भवन के समक्ष धरने पर बैठे छात्रों के समर्थन में आए मध्यकालीन इतिहास विभाग में सहायक प्रोफेसर विक्रम हरिजन ने कहा, “फीस वृद्धि संविधान की आत्मा के इसलिए खिलाफ है क्योंकि डाक्टर बीआर अंबेडकर कई बार संविधान सभा में और बाहर यह कहते थे कि शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं निःशुल्क होनी चाहिए।”
उन्होंने कहा, “डेनमार्क, स्वीडन जैसे देशों में शिक्षा निःशुल्क है और वहां शिक्षा की वृद्धि बहुत अधिक है। मानव विकास सूचकांक के मामले में इन्हीं देशों का हवाला दिया जाता है। यदि शिक्षा का सूचकांक देखेंगे तो भारत के एक या दो विश्वविद्यालय विश्व स्तर पर उभरे हैं।”
हरिजन ने कहा, “एनआईआरएफ की रैंकिंग में इलाहाबाद विश्वविद्यालय कहीं भी नहीं है। इसकी खास वजह है बच्चों की आर्थिक स्थिति। अनुसंधान करने के लिए पैसा चाहिए, एक स्वतंत्र माहौल चाहिए। यदि विश्वविद्यालय फीस वृद्धि करेगा तो एससी-एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चे विशेषकर गरीब तबके के बच्चे अनुसंधान में आगे नहीं बढ़ा पाएंगे।”
उन्होंने कहा, “मैंने अन्य शिक्षकों से भी इन बच्चों के समर्थन में आने की अपील की है जैसे जेएनयू में होता है जहां जब भी आंदोलन होता है, शिक्षक, बच्चे और कर्मचारी सभी उसमें शामिल होते हैं।”
हरिजन द्वारा छात्र आंदोलन का समर्थन किए जाने पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय की जनसंपर्क अधिकारी जया कपूर ने कहा, “प्रोफेसर विक्रम हरिजन ने जो कुछ भी कहा, यह उनका निजी विचार है और विश्वविद्यालय प्रशासन का इससे कोई संबंध नहीं है।”
उल्लेखनीय है कि बुधवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव ने फीस वृद्धि को यह कहते हुए जायज ठहराया था कि पिछले कई दशकों में बढ़ी महंगाई से निपटने के लिए फीस वृद्धि अपरिहार्य हो गया था और बढ़ी हुई फीस मात्र 333 रुपये प्रतिमाह है।
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