देश की खबरें | इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं ने न्यायमूर्ति वर्मा के तबादले के खिलाफ हड़ताल स्थगित की

प्रयागराज, 29 मार्च दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का तबादला इलाहाबाद उच्च न्यायालय किये जाने के खिलाफ बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने जांच रिपोर्ट आने तक अपनी हड़ताल शनिवार को स्थगित कर दी।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वकील पिछले मंगलवार से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

यहां ‘इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन’ की कार्यकारिणी की बैठक के बाद ‘हाईकोर्ट बार एसोसिएशन’ के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने संवाददाताओं को बताया, “न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ जांच रिपोर्ट आने तक हमने हड़ताल निलंबित करने का आज (शनिवार को) निर्णय किया।”

उन्होंने कहा, “हम आम आदमी की लड़ाई लड़ रहे थे और कुछ दिन हमने उनकी कुर्बानी मांगी थी और आम आदमी ने कुर्बानी दी भी। लेकिन आगे हम उनकी कुर्बानी नहीं ले सकते उसके लिए जिसके समाधान में अभी समय लगने वाला है।”

तिवारी ने कहा, “हम स्पष्ट करना चाहेंगे कि हम हड़ताल वापस नहीं ले रहे हैं, बल्कि स्थगित कर रहे हैं। हम तीन सदस्यीय जांच कमेटी के निर्णय की प्रतीक्षा करेंगे। हम भारत के प्रधान न्यायाधीश से अनुरोध करते हैं कि जांच कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए। जैसे ही वह रिपोर्ट हमें मिलेगी, हम अपनी बैठक फिर से शुरू करेंगे और उसके मुताबिक निर्णय करेंगे।”

उन्होंने कहा, “हम ऐसे (न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा) शपथ ग्रहण में शामिल नहीं होंगे, जिस पर प्रश्न चिन्ह लगा हो। यही शपथ उन्होंने दिल्ली में ली थी और यही शपथ वह यहां लेंगे। जांच रिपोर्ट आने तक न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का न्यायिक कार्य वापस ले लिया गया है। आगे हड़ताल जारी रखकर हम वादकारियों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते। ऐसी परिस्थिति में हम हड़ताल निलंबित कर रहे हैं।”

तिवारी ने कहा, “हमने बैठक में राष्ट्रीय स्तर का एक सम्मेलन करने का निर्णय किया है, जिसके बारे में 22 हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्षों से बात की गई है। प्रयागराज में 26 और 27 अप्रैल को होने वाले ‘नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन ज्यूडिशियल एकाउंटेबिलिटी एंड ट्रांसपैरेंसी’ में देशभर से विधि विशेषज्ञ शामिल होंगे।”

सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्थानांतरण की अधिसूचना शुक्रवार को जारी कर दी।

न्यायमूर्ति वर्मा के आधिकारिक आवास पर भारी मात्रा में नकदी मिलने के बाद उच्चतम न्यायालय ने उनके खिलाफ जांच कमेटी गठित की थी और उनके न्यायिक कार्य वापस ले लिए गए थे।

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