मुंबई, 29 सितंबर बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार से कहा कि वह कोई ऐसा रास्ता निकाले ताकि आम लोग भी मुंबई में सार्वजनिक परिवहन का उपयोग कर सकें क्योंकि लोगों की नौकरियां जा रही हैं।
महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने सरकार से एक सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है। बार काउंसिल ने अर्जी में अनुरोध किया है कि महाराष्ट्र के सभी वकीलों को मुंबई की लोकल ट्रेनों में यात्रा करने की अनुमति दी जाए।
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बार काउंसिल का दावा है कि वह दोनों राज्यों के 1,75,000 से ज्यादा वकीलों का प्रतिनिधित्व करता है।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की पीठ ने वकीलों द्वारा दायर एक अन्य अर्जी पर भी सरकार से जवाब मांगा है। उसमें अनुरोध किया गया है कि राज्य की उपभोक्ता अदालतों को सामान्य या ऑनलाइन, किसी भी तरीके से मुकदमों की सुनवाई करने की अनुमति दी जाए।
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पीठ ने कहा कि राज्य को ऐसा रास्ता निकालना होगा जिससे सामान्य लोग भी मुंबई में सार्वजनिक परिवहन का उपयोग कर सकें।
पीठ ने कहा, ‘‘सिर्फ वकीलों को अनुमति देना, हमारी ओर से पक्षपात जैसा लगेगा। दूसरे सेक्टर के लोगों को भी अनुमति क्यों ना दें? हम सिर्फ वकीलों के बारे में नहीं सोच सकते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लोग भूखे हैं, उनकी नौकरियां जा रही हैं। दफ्तर के जनरल मैनेजर कचरा उठाने वाले वाहन चला रहे हैं। कोई सब्जी बेच रहा है (महामारी के कारण)। कई लोग अपनी नौकरियों में वापस लौटेंगे। आपको अपना फॉर्मूला तय करना होगा।’’
मुंबई की लोकल ट्रेनों में फिलहाल सिर्फ अनिवार्य सेवाओं से जुड़े लोगों को यात्रा करने की अनुमति है।
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