नयी दिल्ली, 30 नवंबर शतरंज के स्टार खिलाड़ी आर प्रज्ञानानंदा का मानना है कि विश्व चैम्पियन बनना एक वास्तविक संभावना है और उन्होंने यह उपलब्धि हासिल करने के लिए खुद को तीन से चार साल का समय दिया है।
देश के सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर्स में से एक 17 वर्षीय प्रज्ञानानंदा ने विश्व चैंपियन मैग्नस कार्लसन को केवल छह महीनों में तीन बार हराया जो उनके करियर के मुख्य आकर्षणों में से एक है।
हाल ही में उन्होंने मेल्टवाटर शतरज चैंपियंस टूर फाइनल का अपना सर्वश्रेष्ठ मुकाबला खेलते हुए पोलैंड के ग्रैंडमास्टर यान-क्रिस्टोफ डुडा को हराया।
अर्जुन पुरस्कार लेने के लिए बुधवार को राष्ट्रपति भवन रवाना होने से पहले प्रज्ञानानंदा ने कहा, ‘‘हां, मेरा सपना और लक्ष्य विश्व में नंबर एक और विश्व शतरंज चैंपियन बनना है और मुझे लगता है कि इसे अगले तीन से चार साल में हासिल किया जा सकता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि इसमें लंबा समय लगना चाहिए। अगर मैं अच्छा खेलना जारी रखता हूं और सही दिशा में रहता हूं तो यह वास्तविक रूप से संभव है।’’
मेल्टवाटर शतरंज चैंपियंस टूर फाइनल के दौरान प्रज्ञानानंदा और मौजूदा विश्व चैंपियन कार्लसन ने सैन फ्रांसिस्को में प्रतिष्ठित बे ब्रिज के पास शतरंज खेलना चुना।
प्रज्ञानानंदा ने कहा, ‘‘हां, मैं पिछले कुछ समय से बहुत अच्छी फॉर्म में हूं और मैं लगातार अच्छा खेल रहा हूं। मैं अर्जुन पुरस्कार का हकदार हूं। मुझे नहीं लगता कि यह पुरस्कार बहुत शुरुआती चरण में आया है। यह मेरे प्रयासों के लिए एक पहचान है। यह खेल के लिए अच्छा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि यह पुरस्कार मुझे और अधिक उपलब्धियां हासिल करने के लिए प्रेरित करेगा और अन्य शतरंज खिलाड़ियों को भी प्रेरित करेगा।’’
विश्व शतरंज चैंपियन कार्लसन को हराने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी प्रज्ञानानंदा का मानना है कि उन्हें अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए शीर्ष रैंकिंग वाले खिलाड़ियों के खिलाफ खेलने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरी शीर्ष रैंकिंग वाले खिलाड़ियों के साथ खेलने की योजना है। मुझे शीर्ष अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप का चयन करने की आवश्यकता है। मुझे अपनी ईएलओ रेटिंग में भी सुधार करना है। हां, बहुत सारे कार्य हैं लेकिन जैसा कि मैंने कहा, वे वास्तविक रूप से संभव हैं।’’
उन्होंने कहा कि उनके लिए पूर्व विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद निरंतर प्रेरणा स्रोत रहे हैं।
प्राज्ञनानंदा ने कहा, ‘‘आनंद सर पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने मुझे बताया कि मैं एक दिन विश्व चैंपियन बन सकता हूं। मैं इसे सही साबित करना चाहता हूं। मुझे उनसे पूरी मदद और समर्थन मिल रहा है। मुझे यकीन है कि हर बीतते दिन के साथ मेरे खेल में सुधार हो रहा है।’’
इस युवा खिलाड़ी ने कहा कि उनकी केवल एक ही महत्वाकांक्षा है और वह दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बनना है।
प्रज्ञानानंदा ने कहा, ‘‘मैंने अपनी सारी ऊर्जा एक ही दिशा में लगा दी है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैंने अपने अन्य विकल्पों को बंद कर दिया है। मैं बहुत पढ़ता हूं और मुझे सामयिकी मुद्दों की जानकारी है। लेकिन हां, शतरंज मेरा जीवन है, मेरा जुनून है। मेरा सब कुछ है।’’
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