नयी दिल्ली, एक सितंबर अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) में बदलाव की बयार बह रही है और महासंघ को शुक्रवार को होने वाले चुनाव में अपने 85 साल के इतिहास में पहला ऐसा अध्यक्ष मिलेगा जो पूर्व खिलाड़ी होगा।
शुक्रवार को होने वाले चुनाव में एआईएफएफ अध्यक्ष पद की दौड़ में भारत के महानतम खिलाड़ियों में से एक 45 साल के बाईचुंग भूटिया का सीधा मुकाबला मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के पूर्व गोलकीपर कल्याण चौबे से होगा।
चौबे को गुजरात और अरुणाचल प्रदेश जैसे राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्यों से समर्थन मिलने के कारण अध्यक्ष पद की दौड़ में जीत का प्रबल दावेदार माना जा रहा है।
चौबे पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं और इसमें कोई संदेह नहीं है कि उन्हें पर्याप्त राजनीतिक समर्थन मिल रहा है जो इस खेल के खेल संस्थानों के चुनाव में काफी महत्वपूर्ण होता है।
इस तरह की चर्चा है कि चौबे को पूर्वोत्तर के सबसे प्रभावशाली राजनेताओं में से एक का समर्थन हासिल है जिसकी भारतीय खेलों में सक्रिय रुचि है।
भारतीय फुटबॉल से जुड़े कई लोगों का मानना है कि यही कारण है कि भूटिया के घरेलू राज्य संघ सिक्किम ने उनकी उम्मीदवारी का समर्थन नहीं किया है।
दो अन्य शीर्ष पदों महासचिव और कोषाध्यक्ष के लिए भी दो उम्मीदवारों के बीच सीधा मुकाबला है।
राजस्थान फुटबॉल संघ के अध्यक्ष और कांग्रेस के नेता मानवेंद्र सिंह और एनए हारिस उपाध्यक्ष पद के लिए आमने-सामने हैं। हारिस कर्नाटक फुटबॉल संघ के अध्यक्ष और राज्य में कांग्रेस के विधायक हैं।
मानवेंद्र के राज्य संघ ने भूटिया की उम्मीदवारी का अनुमोदन किया था।
कोषाध्यक्ष पद के लिए आंध्र प्रदेश राज्य संघ के अध्यक्ष गोपालकृष्ण कोसाराजू और अरुणाचल प्रदेश के किपा अजय दो उम्मीदवार मैदान में हैं।
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