नयी दिल्ली, 13 फरवरी उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर तीन जनवरी के उस फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया गया है, जिसमें उसने अडाणी समूह द्वारा शेयर मूल्यों में हेराफेरी के आरोपों की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) या केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने से इनकार कर दिया था।
शीर्ष अदालत ने सीबीआई या एसआईटी जांच का आदेश देने से इनकार कर दिया था और अपने फैसले में कहा था कि बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) आरोपों की ‘व्यापक जांच’ कर रहा है और उसका तरीका ‘विश्वास को प्रेरित करने वाला है’।
याचिका में दावा किया गया है कि फैसले में ‘‘गलतियां और त्रुटियां’’ थीं और याचिकाकर्ता के वकील को प्राप्त कुछ नये तथ्यों की पृष्ठभूमि में फैसले पर पुनर्विचार के लिए पर्याप्त कारण हैं।
पुनर्विचार याचिका अनामिका जायसवाल द्वारा दायर की गई है, जो मामले की याचिकाकर्ताओं में से एक थीं।
अधिवक्ता नेहा राठी के माध्यम से याचिका दायर की गयी है। पुनर्विचार याचिका में कहा गया है कि सेबी ने अपनी रिपोर्ट में आरोपों के मद्देनजर शुरू की गयी 24 जांचों की स्थिति के बारे में अदालत को केवल अद्यतन जानकारी दी है, भले ही जांच पूरी हुई हों या अधूरी रही हों, लेकिन उसने किसी भी निष्कर्ष या की गई कार्रवाई के विवरण का खुलासा नहीं किया है।
इसमें कहा गया है, ‘‘जब तक सेबी जांच के निष्कर्ष सार्वजनिक नहीं किए जाते, तब तक यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि कोई नियामक विफलता नहीं हुई है।’’
शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि सेबी ने उन 24 मामलों में से 22 में अपनी जांच पूरी कर ली है, जहां अडाणी समूह के खिलाफ आरोप लगाए गए थे।
शीर्ष अदालत ने अडाणी समूह द्वारा शेयर मूल्य में हेरफेर करने के आरोपों से संबंधित ‘अडाणी-हिंडनबर्ग रिसर्च’ विवाद को लेकर दायर विभिन्न याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया था।
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