देश की खबरें | अडाणी समूह के ऑडिटर को समय से पहले कामकाज छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है: कांग्रेस

नयी दिल्ली, 12 अगस्त कांग्रेस ने अडाणी समूह की कंपनी अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन लिमिटेड की ऑडिटर ‘डेलॉयट’ के ऑडिट का कामकाज छोड़ने की तैयारी के बीच शनिवार को आरोप लगाया कि यह कारोबारी समूह अपने लेन-देन को छिपाने के लिए कुछ भी करने को तैयार है।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि इस ऑडिटर को समय से पहले कामकाज छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

गौरतलब है कि अडाणी समूह की कंपनी अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन लि. की ऑडिटर डेलॉयट, कंपनी के ऑडिट के कामकाज को छोड़ने की तैयारी कर रही है। ऑडिट सेवा और परामर्श कंपनी ने अमेरिकी वित्तीय शोध और निवेश कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में चिह्नित कुछ लेन-देन पर चिंता जताई थी।

डेलॉयट ने तीन लेन-देन को लेकर सवाल उठाये थे। इसमें हिंडनबर्ग रिपोर्ट में चिह्नित एक ‘कॉन्ट्रैक्टर’ से ‘रिकवरी’ भी शामिल थी।

अमेरिकी संस्था हिंडनबर्ग ने इस साल 24 जनवरी को अपनी रिपोर्ट में अडाणी समूह पर धोखाधड़ी, शेयरों में गड़बड़ी और धन शोधन के आरोप लगाये थे। साथ ही संबद्ध पक्षों के बीच लेन-देन की बात कही थी। इसके बाद से कांग्रेस इस कारोबारी समूह पर लगातार हमले कर रही है।

अडाणी समूह ने सभी आरोपों को निराधार बताया था।

कांग्रेस नेता रमेश ने एक बयान में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के पसंदीदा कारोबारी समूह के संदिग्ध लेन-देन के कारण डेलॉयट हास्किन्स एंड सेल्स ने कथित तौर पर ‘अडाणी पोर्ट्स एंड एसईज़ेड’ के ऑडिटर की जिम्मेदारी छोड़ने का असामान्य कदम उठाया है।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘इससे पहले ऑडिटर ने कंपनी के खातों पर एक 'क्वालिफ़ाइड ओपिनियन' जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि तीन संस्थाओं के साथ अडाणी पोर्ट्स के लेन-देन को असंबंधित पक्षों से लेन-देन के तौर पर नहीं दिखाया जा सकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ऑडिटर ने यह भी कहा था कि स्वतंत्र बाहरी जांच कराने से इसकी पुष्टि करने में मदद मिल सकती थी, लेकिन अडाणी पोर्ट्स ने उसके लिए मना कर दिया।’’

रमेश ने सवाल किया, ‘‘वह ईपीसी कॉन्ट्रैक्टर कौन है, जिसकी सुरक्षा और धन की व्यवस्था अडाणी पोर्ट्स कर रहा है? मई 2023 में उसने अपना म्यांमा कंटेनर टर्मिनल वास्तव में किसे बेचा?’’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘ऐसा लगता है कि अडाणी पोर्ट्स इन स्पष्ट संबंधित लेनदेन को छिपाने के लिए कुछ भी करने को तैयार है। तभी डेलॉयट को फर्म के वैधानिक ऑडिटर के रूप में पांच वर्षों में से केवल एक वर्ष पूरा करने के बाद ही इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर किया जा रहा है।’’

रमेश ने कहा, ‘‘हम 14 अगस्त 2023 को अडाणी महाघोटाले पर आने वाली सेबी की रिपोर्ट का इंतज़ार कर रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि उच्चतम न्यायालय की विशेषज्ञ समिति द्वारा उठाए गए तीखे सवालों के अनुसार अडाणी ग्रुप की संदिग्ध वित्तीय स्थिति की विस्तृत जांच होगी। ‘मोडानी’ के भ्रष्टाचार का सच सामने आना जारी है।’’

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