चेन्नई, सात जुलाई केंद्र ने मद्रास उच्च न्यायालय को मंगलवार को सूचित किया कि वंदे भारत मिशन के जरिए दो महीने से भी कम समय में 137 देशों में फंसे 5,03,990 भारतीयों को स्वदेश लाया गया है।
उसने बताया कि इस मिशन के जरिए जिन राज्यों के सर्वाधिक निवासी लौटे हैं, उनकी सूची में तमिलनाडु चौथे नंबर पर है।
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भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल आर शंकरनारायणन ने बताया कि दूसरे देशों में फंसे केरल के सर्वाधिक (94,085) निवासी स्वदेश लौटे। इसके बाद उत्तर प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात एवं आंध्र प्रदेश के निवासी लौटे हैं।
मिशन के जरिए लौटे सर्वाधिक भारतीय यूएई में (57,305) फंसे थे। इसके बाद कुवैत, कतर, ओमान, सऊदी अरब और अमेरिका में फंसे भारतीयों को वापस लाया गया।
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उन्होंने बताया कि नेपाल से 91,193 लोगों को जमीनी सीमा चौकियों के जरिए वापस लाया गया।
शंकरनारायणन ने बताया कि मिशन के चौथे चरण में विभिन्न देशों से 218 और उड़ानें भारत आएंगी, जिनमें से 25 से अधिक तमिलनाडु में उतरेंगी।
उन्होंने द्रमुक की जनहित याचिका के जवाब में आरोप लगाया कि तमिलनाडु सरकार राज्य में इस प्रकार के मिशन को अनुमति देने से इनकार कर रही है।
इस याचिका पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील पी विल्सन ने कहा कि पहले राज्य सरकार का मंजूरी देने से इनकार करना समस्या थी और अब जब राज्य ने स्पष्ट किया है कि उसे इन उड़ानों को लेकर कोई आपत्ति नहीं है, तो केंद्र को राज्य के उन 25,939 निवासियों को वापस लाने के लिए समाधान खोजना होगा, जो अब भी अन्य देशों में फंसे हैं।
विल्सन ने कहा, ‘‘हमें 25,939 लोगों को वापस लाने के लिए कम से कम 146 और विमानों की आवश्यकता होगी।’’
उन्होंने कहा कि इसके अलावा जिन फंसे लोगों को वित्तीय सहायता की आवश्यकता है, उन्हें भारतीय समुदाय कल्याण निधि से वित्तीय मदद दी जानी चाहिए, जो कि अभी तक नहीं दी गई है।
शंकरनारायणन ने कहा कि तमिलनाडु में कम उड़ानें आने का मतलब यह नहीं है कि राज्य निवासी लौट नहीं रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसा आवश्यक नहीं है कि इस प्रकार की उड़ान तमिलनाडु में ही उतरें। वे दूसरे राज्यों में भी उतर रही हैं और इसके बाद राज्य में लोगों को वापस लाया जा रहा है।
न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति आर हेमलता की खंडपीठ ने केंद्र को राज्य के 25,939 निवासियों की वापसी संबंधी निर्देश देने और अदालत को इस संबंध में 20 जुलाई तक सूचना देने का आदेश दिया।
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