न्यायालय में अडाणी कोयला निर्यात मुकदमे के शीघ्र समाधान के लिए 21 अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने लिखा पत्र
कम से कम 21 अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर उच्चतम न्यायालय से राजस्व आसूचना निदेशालय द्वारा लंबे अरसे से दाखिल मुकदमे के शीघ्र समाधान का अनुरोध किया है.
नयी दिल्ली, 24 मई : कम से कम 21 अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर उच्चतम न्यायालय से राजस्व आसूचना निदेशालय द्वारा लंबे अरसे से दाखिल मुकदमे के शीघ्र समाधान का अनुरोध किया है. आसूचना निदेशालय इंडोनेशियाई कोयला आयात मामले में अडाणी समूह की कंपनियों द्वारा कथित अधि-मूल्यांकन की जांच कर रहा है. लंदन के फाइनेंशियल टाइम्स ने जॉर्ज सोरोस समर्थित 'ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट' (ओसीसीआरपी) के दस्तावेज के हवाले से एक खबर जारी की है, जिसके बाद संगठनों ने यह पत्र लिखा है. खबर में अडाणी समूह द्वारा 2013 में खराब गुणवत्ता वाले कोयले को अधिक मूल्य के ईंधन के रूप में बेचकर 'धोखाधड़ी' करने का आरोप लगाया गया था.
‘द फाइनेंशियल टाइम्स’ की खबर के मुताबिक, संगठनों ने कहा कि वह जीवाश्म ईंधन के लगातार प्रयोग के खिलाफ सख्ती से खड़े हैं. खबर के मुताबिक, अडाणी समूह ने तमिलनाडु के टैंगेडको के साथ मिलकर घटिया गुणवत्ता वाले कोयले को महंगी दर पर साफ ईंधन के रूप में बेचा था, जिसके नये और विस्तृत सबूत पेश किये गये हैं. जिन 21 अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ को पत्र लिखा है उनमें ऑस्ट्रेलियन सेंटर फॉर इंटरनेशनल जस्टिस, बैंकट्रैक, बॉब ब्राउन फाउंडेशन, कल्चर अनस्टैन्ड, एको, एक्सटिंक्शन रिबेलियन, फ्रेंड्स ऑफ द अर्थ ऑस्ट्रेलिया, लंदन माइनिंग नेटवर्क, मैके कंजर्वेशन ग्रुप, मार्केट फोर्सेज, मनी रिबेलियन, मूव बियॉन्ड कोल, सीनियर्स फॉर क्लाइमेट एक्शन नाउ, स्टैंड.अर्थ, स्टॉप अडाणी, सनराइज मूवमेंट, टिपिंग पॉइंट, टॉक्सिक बॉन्ड्स, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ऑस्ट्रेलिया, डब्ल्यू एंड जे नागाना यारबायन कल्चरल कस्टोडियन और क्वींसलैंड कंजर्वेशन काउंसिल शामिल हैं. यह भी पढ़ें : हरियाणा की 10 लोकसभा सीट पर शनिवार को मतदान होगा; खट्टर, कुमारी सैलजा भी मैदान में
अडाणी समूह ने हालांकि सभी आरोपों से इनकार किया लेकिन कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सहित विपक्षी नेताओं ने अखबार में छपी इस खबर का हवाला देते हुए कथित गड़बड़ी की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग की. समूह के एक प्रवक्ता ने कहा कि कोयले की गुणवत्ता का परीक्षण स्वतंत्र रूप से लदान और उतारे जाने वाले स्थानों पर किया गया था. साथ ही सीमा शुल्क अधिकारियों और तमिलनाडु जेनरेशन एंड डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी के अधिकारियों ने भी इसकी जांच की थी. उन्होंने कहा, ‘‘आपूर्ति किए गए कोयले की विभिन्न एजेंसियों ने विभिन्न जगहों पर विस्तृत गुणवत्ता जांच की थी. इससे स्पष्ट है कि कम गुणवत्ता वाले कोयले की आपूर्ति का आरोप न केवल निराधार और अनुचित है बल्कि पूरी तरह से बेतुका है.’’ प्रवक्ता ने कहा, ‘‘इसके अलावा, भुगतान आपूर्ति किए गए कोयले की गुणवत्ता पर निर्भर करता है. यह परीक्षण प्रक्रिया के माध्यम से निर्धारित किया जाता है.’’
बयान के अनुसार, रिपोर्ट में दिसंबर, 2013 में जिस जहाज के जरिये कोयला ले जाने का जिक्र किया गया है, वास्तव में वह जहाज फरवरी, 2014 से पहले इंडोनेशिया से कोयला लाने के लिए इस्तेमाल ही नहीं किया गया था. शीर्ष अदालत में एक हलफनामे में, राजस्व खुफिया निदेशालय ने पहले कोयला आयात के कथित अधि- मूल्यांकन के लिए अडाणी समूह की जांच फिर से शुरू करने के लिए अपना रुख दोहराया था. मार्च 2016 में, राजस्व खुफिया निदेशालय ने 2011 और 2015 के बीच इंडोनेशिया से कोयला आयात के कथित अधिक मूल्यांकन के लिए अडाणी समूह की कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू की थी.