जयपुर, 29 जनवरी राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रशासन ने दस छात्रों को अनुशासनात्मक कार्रवाई का हवाला देते हुए 14 दिनों के लिए निलंबित कर दिया है, जबकि एक स्वयंसेवी संस्थान (एनजीओ) ने दावा किया है कि यह कार्रवाई 26 जनवरी को प्रतिबंधित बीबीसी वृत्तचित्र की कथित स्क्रीनिंग को लेकर की गयी है।
निलंबन आदेश के अनुसार पिछले दो दिनों (शुक्रवार और शनिवार) शिक्षकों और अधिकारियों के निर्देशों की अवहेलना करने के साथ साथ नामित स्थलों के अलावा अन्य स्थानों पर देर रात में इस लघु फिल्म को प्रदर्शित करने के लिए छात्रों को निलंबित कर दिया गया है।
केन्द्रीय विश्वविद्यालय के अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) अध्यक्ष विकास पाठक ने कहा कि एसएफआई और एनएसयूआई से जुड़े कुछ छात्रों ने कैंटीन के पास प्रतिबंधित वृत्तचित्र की स्क्रीनिंग के लिए आमंत्रित किया था, जिसके बाद कार्रवाई की गई।
उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को लगभग 40-50 छात्र एकत्र हुए और लैपटॉप सहित उपकरणों पर सार्वजनिक रूप से डॉक्यूमेंट्री देखने लगे।
हालांकि विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने कहा कि छात्रों पर कार्रवाई का डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि छात्रों के खिलाफ यह नियमित अनुशासनात्मक कार्रवाई है।
विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने नाम न छापने की इच्छा रखते हुए कहा कि ‘‘वृत्तचित्र की स्क्रीनिंग पर कार्रवाई नहीं की गई। यह इन छात्रों के खिलाफ एक सामान्य, नियमित, अनुशासनात्मक कार्रवाई थी, जो एक शैक्षणिक संस्थान की एक नियमित गतिविधि है।”
विश्वविद्यालय प्रशासन ने 27 जनवरी को एक आदेश जारी कर तत्काल प्रभाव से बीबीसी के वृत्तचित्र के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया था। उसके अनुसार ऐसी कोई भी शैक्षणिक गतिविधि, जिसमें एक जगह एकत्रित होकर सभा की आवश्यकता होती है, के लिये कुलसचिव द्वारा डीन, छात्र कल्याण की सिफारिशों के साथ मंजूरी दी जानी चाहिए। विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों को देर रात परिसर में नारेबाजी और आवारागर्दी नहीं करने की भी सलाह दी।
दूसरी ओर, एक स्वयं सेवी संस्थान ‘‘पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज’’ (पीयूसीएल) ने एक बयान में कहा कि विश्वविद्यालय के विभिन्न विषयों के 10 छात्रों को कथित तौर पर बीबीसी वृत्तचित्र देखने के लिए निलंबित कर दिया गया था।
पीयूसीएल ने कहा कि ‘‘विश्वविद्यालय से 10 छात्रों को बी बी सी के वृत्तचित्र को देखने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। उनमें से आठ मुसलमान ,एक इसाई तथा एक हिंदू हैं। 26 जनवरी 2023 को विश्वविद्यालय में फिल्म की स्क्रीनिंग नहीं हुई। मोबाइल पर उक्त फिल्म देखना एक विद्यार्थी का निजी मामला है तथा वह उनकी निजी स्वतंत्रता के हक में आता है।’’
पीयूसीएल की अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव और महासचिव अंनत भटनागर की ओर से विश्वविद्यालय के कुलपति आनंद भालेराव को लिखे पत्र में कहा गया है, ‘‘विश्वविद्यालय द्वारा अधिकतर अल्पसंख्यक विद्यार्थियों को निलंबित के जाने की कार्रवाई के पीछे विद्वेषपूर्ण सांप्रदायिक मानसिकता परिलक्षित होती है। यह खेदजनक है कि इस मामले में विद्यार्थियों की कोई सुनवाई नहीं की गई, न ही मामले की कोई विधिवत जांच हुई ।’’
पीयूसीएल ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि बिना किसी विधिवत जांच के उन्हें 15 दिन के लिए विश्वविद्यालय तथा छात्रावास से निकाल दिया गया । उसने मांग की है कि विद्यार्थियों का निलंबन आदेश तुरंत वापस लिया जाए तथा उन्हें विश्वविद्यालय तथा छात्रावास में अविलंब प्रवेश दिया जाए।
कुंज
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