'शांति यात्रा' पर रूस जाएंगे शी
रूसी राष्ट्रपति के न्योते पर चीनी राष्ट्रपति सोमवार को मॉस्को जा रहे हैं.
रूसी राष्ट्रपति के न्योते पर चीनी राष्ट्रपति सोमवार को मॉस्को जा रहे हैं. इस दौरान यूक्रेन युद्ध को लेकर शांति वार्ता की पहल भी की जाएगी.मास्को का करीबी सहयोगी बीजिंग, लंबे समय में यूक्रेन में युद्ध को शांत करने के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभाना चाहता है. दोनों देशों ने शुक्रवार को कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग 20-22 मार्च को रूस जाकर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे. रूसी राष्ट्रपति कार्यालय के मुताबिक यह मुलाकात "व्लादिमीर पुतिन के न्योते पर" हो रही है.
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इस यात्रा का एलान ऐसे वक्त में हुआ है जब पश्चिमी देश, रूस के समर्थन को लेकर चीन पर शक कर रहे हैं. पश्चिम को लगने लगा है कि चीन परोक्ष रूप से यूक्रेन युद्ध में रूस का समर्थन कर रहा है.
एजेंडे में क्या है?
रूसी राष्ट्रपति के दफ्तर क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेशकोव के मुताबिक पुतिन और शी, सोमवार को रात्रिभोज के दौरान वन टू वन मीटिंग करेंगे. अगले दिन दोनों देशों के अधिकारी सीमा वार्ता में हिस्सा लेंगे.
रूसी राष्ट्रपति कार्यालय ने एक बयान में कहा, "बातचीत के दौरान, वे पारस्परिक पार्टनरशिप को बढ़ाने वाले मुद्दों पर बात करेंगे और रूस व चीन के बीच रणनीति साझेदारी को बढ़ाने पर भी. कई अहम द्विपक्षीय दस्तावेजों पर दस्तखत किए जाएंगे."
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चीन के विदेश मंत्रालय ने शी के दौरे को "शांति के लिए की जा रही यात्रा" करार दिया है. चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि यात्रा, "असली बहुपक्षीय अभ्यास..वैश्विक गर्वनेंस को बेहतर करने और विश्व के विकास और उसकी प्रगति में भागीदारी निभाने" के लिए है.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग बेनबिन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "मौजूदा वक्त में, बड़ी तेजी से ऐसे बदलाव हो रहे हैं, जो एक सदी में नहीं हुए और उसकी वजह से खलबली का एक नया दौर शुरू हो रहा है."
चीनी प्रवक्ता ने आगे कहा, "चीन यूक्रेन संकट पर अपने उद्देश्य और निष्पक्ष रुख को बरकरार रखेगा और शांति वार्ता को बढ़ावा देने में सकारात्मक भूमिका निभाएगा."
बीजिंग की शांति बहाली की कोशिश
चीन ने पहले भी यूक्रेन युद्ध में मध्यस्थ की भूमिका निभाने का संकेत दिया है. हालांकि वह यूक्रेन पर हमला करने के लिए रूस की आलोचना करने से बचता रहा है. कई मौकों पर चीन उसी भाषा का इस्तेमाल कर रहा है जो मॉस्को की है. वह बाहरी तत्वों का जिक्र कर पश्चिमी देशों पर भी निशाना साधता रहा है. इन कारणों से पश्चिमी देशों को चीन की मध्यस्थता की कोशिशों पर शक हो रहा है.
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एक बड़े अमेरिकी अधिकारी ने चीन पर रूस को यूक्रेन युद्ध के लिए हथियार सप्लाई करने के आरोप भी लगाया है. बीजिंग इन आरोपों का खंडन कर रहा है.
वहीं युद्ध में फंसा यूक्रेन, बीजिंग के साथ भी रिश्ते मजबूत करना चाहता है. 24 फरवरी को युद्ध की बरसी पर यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने चीन से अपील करते हुए कहा कि वह कीव शांति समझौते पर होने वाली बातचीत में शामिल होने को तैयार हैं.
कीव का कहना है कि युद्ध खत्म करने के लिए होने वाली किसी भी बातचीत में यूक्रेन की 1991 की सीमा का सम्मान होना चाहिए और रूसी सेना पूरी तरह यूक्रेन से बाहर होनी चाहिए. 1991 में सोवियत संघ का विघटन हुआ था. उसके बाद रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा किया है और फिलहाल रूसी सेना पूर्वी, दक्षिणी यूक्रेन में भीतर तक घुसी हुई है.
ओएसजे/एनआर (एएफपी, एपी, रॉयटर्स)