सऊदी अरब में खत्म हुआ कफाला सिस्टम; जानें इससे कैसे बदलेगा लाखों प्रवासी मजदूरों का भविष्य
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What Was Kafala System? सऊदी अरब ने अपने दशकों पुराने ‘कफाला सिस्टम’ (Kafala System) को खत्म कर इतिहास रच दिया है. इस फैसले से करीब 1.3 करोड़ प्रवासी मजदूरों को सीधा फायदा मिलेगा. यह सिस्टम लंबे समय से विदेशी मजदूरों की जिंदगी और काम पर पूरी तरह नियंत्रण रखता था. अब इस ऐतिहासिक सुधार के बाद मजदूरों को अधिक अधिकार और आजादी मिलेगी.

कफाला सिस्टम की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी. इस व्यवस्था के तहत किसी भी विदेशी मजदूर का कानूनी दर्जा पूरी तरह उसके लोकल स्पॉन्सर या नियोक्ता (Kafeel) पर निर्भर करता था. नियोक्ता ही यह तय करता था कि मजदूर कहां काम करेगा, कब नौकरी बदलेगा और देश छोड़ सकेगा या नहीं.

तेल उद्योग में तेजी से बढ़ते श्रम की जरूरत को पूरा करने के लिए इसे लागू किया गया था, लेकिन समय के साथ यह सिस्टम शोषण और दमन का जरिया बन गया.

मजदूरों पर होता था पूरा नियंत्रण

कफाला सिस्टम के तहत नियोक्ता मजदूर का पासपोर्ट अपने पास रख सकता था. बिना अनुमति के मजदूर नौकरी नहीं बदल सकता था. यहां तक कि देश छोड़ने के लिए भी नियोक्ता की मंजूरी जरूरी होती थी. कई मामलों में मजदूरों को वेतन नहीं दिया जाता था या देर से दिया जाता था.

सबसे ज्यादा परेशानी घरेलू कामगारों को होती थी, खासकर महिलाओं को. उन्हें कई बार शारीरिक, मानसिक और आर्थिक शोषण का सामना करना पड़ता था. कई मानवाधिकार संगठनों ने इसे “आधुनिक गुलामी” तक कहा था.

अब क्या बदलेगा कफाला सिस्टम खत्म होने के बाद

सऊदी अरब ने कफाला सिस्टम खत्म कर एक कॉन्ट्रैक्ट आधारित रोजगार मॉडल लागू किया है. इसके तहत:

  • मजदूर अब नियोक्ता की मंजूरी के बिना नौकरी बदल सकेंगे.
  • देश छोड़ने के लिए किसी की अनुमति की जरूरत नहीं होगी.
  • कानूनी सुरक्षा और श्रम अदालतों तक पहुंच आसान होगी.

शोषण की शिकायत पर त्वरित कार्रवाई होगी.

इस सुधार से मजदूरों को अब न केवल काम की स्वतंत्रता मिलेगी बल्कि उनके साथ सम्मान और सुरक्षा का व्यवहार भी सुनिश्चित होगा.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना

इस कदम से सऊदी अरब अंतरराष्ट्रीय श्रम मानकों के करीब पहुंच गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि इससे मजदूरों के अधिकार मजबूत होंगे और विदेशी श्रमिकों के लिए देश में काम करने का माहौल सुरक्षित और पारदर्शी बनेगा.

यह सुधार न सिर्फ सऊदी अरब में काम कर रहे दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के लाखों मजदूरों के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि अन्य खाड़ी देशों पर भी सुधार का दबाव बना सकता है.