युद्ध की मारी डॉल्फिनों को रोमानिया में मिला नया घर

युद्ध की मारी यूक्रेन की चार डॉल्फिनों को रोमानिया में नया घर मिला है, जिसे उन्होंने पूरे दिल से अपना लिया है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

युद्ध की मारी यूक्रेन की चार डॉल्फिनों को रोमानिया में नया घर मिला है, जिसे उन्होंने पूरे दिल से अपना लिया है.काले सागर पर बसे रोमानिया के तटीय शहर कॉन्स्टांटा में आजकल बच्चे और बड़े सभी के लिए मनोरंजन का नया साधन लोकप्रिय हो रहा है. यहां नई डॉल्फिन आई हैं, जो नए देश और नई भाषा के बावजूद ये डॉल्फिन ना सिर्फ दर्शकों से घुल मिल रही हैं बल्कि नए प्रशिक्षकों के साथ संवाद भी कर रही हैं.

पिछले साल जब गोलाबारी शुरू हुई तो यूक्रेन के शहर खारकीव से भागकर कुछ ट्रेनर और डॉक्टर कॉन्स्टांटा आ गए थे. उनके साथ चार डॉल्फिन और दो सी लायंस भी आए, जिन्हें इस मछलीघर में रखा गया है.

किनारों पर आकर क्यों फंस जाती हैं व्हेल और डॉल्फिन?

रोमानिया की ट्रेनर मोना मैंड्रेस्क्यू कहती हैं, "अब हमारे ज्यादा सहयोगी हैं. यूक्रेन के सहकर्मी और डॉल्फिन. हमारी अच्छी बनती हैं. हम एक जैसी भाषा बोलते हैं. हमारी डॉल्फिनों के लिए इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता था.”

जब होने लगी गोलाबारी

रोमानिया यूरोपीय संघ के उन करीब 14 देशों में से है जिनमें डॉल्फिन और अन्य समुद्री जीवों के लिए मछलीघर हैं. कॉन्स्टांटा का मछलीघर यहां के विशाल साइंस म्यूजियम और शोध संस्थान का हिस्सा है. यहां 2010 से ही दो मादा डॉल्फिन रह रही हैं, जिनके नाम हैं नी नी और चेन चेन.

डॉल्फिनों में भी होती है क्लिटोरिस की बड़ी भूमिका

पिछली फरवरी में जब रूसी फौजों ने खारकीव पर हमला किया, तभी वहां के मछलीघर ने अपने जीवों को नया घर देने के बारे में सोचा था. युद्ध शुरू होते ही चार डॉल्फिनों – कीकी, माया, मॉरिसिया और वेटेरोक व तीन सी लायन आलेक्स, मैरी और जोयसा को यूक्रेन के शहर ओडेसा भेजा गया. वहां वे दो महीने तक रहे. इस बीच यूक्रेन और रोमानिया के अधिकारियों के बीच कागजी कार्रवाई की गई ताकि उन्हें यूरोपीय संघ में लाया जा सके.

बन गया है परिवार

मई में ये प्राणी कॉन्स्टांटा पहुंचे. उन्हें एक महीने तक एकांतवास में रखा गया. उसके बाद उन्हें वहां रहने वाली दोनों डॉल्फिनों से मिलवाया गया. यूक्रेन की टीम लीडर एलेना कोमोगोरोवा कहती हैं, "हमारे और हमारे जानवरों के लिए यह एक नया अनुभव था क्योंकि हम अलग हैं. उनके पास दो बहुत उम्रदराज और खूबसूरत मादाएं हैं. हमारे जानवर युवा हैं. शुरुआत में उनके बीच एक तरह का अलगाव रहा. लेकिन अब हम सब बहुत अच्छे दोस्त हैं. ऐसा ही हमारी टीम के साथ भी हुआ.”

इन जानवरों ने बीती जून में एक साथ प्रदर्शन करना शुरू किया. प्रशिक्षकों के साथ तैरना, गोलों के अंदर से कूदना और अपनी नाक पर गेंद को लेकर तैरने जैसी गतिविधियां शुरू हुईं. सी लायंस दर्शकों के साथ घुलमिल गए हैं.

मछलीघर के मैनेजर लूलियन कालिन कहते हैं, "हम चाहते हैं कि जब तक संभव हो, वे हमारे साथ रहें. वे बहुत मेहनती लोग हैं. और हम चाहते हैं कि डॉल्फिन हमारे साथ रहें क्योंकि मिलजुलकर हम एक खूबसूरत परिवार बनाते हैं.”

वीके/सीके (रॉयटर्स)

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