नई दिल्ली: सरकार ने स्पुतनिक-5 वैक्सीन (Sputnik -5 Vaccine) के निर्माण में भारत की मदद मांगी है. इसके साथ ही रूस ने वैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण में भी भारत से मदद का आह्वान किया है. एक शीर्ष अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी.रूस ने कोरोना वैक्सीन 'स्पुतनिक-5' का पहला बैच अपने नागरिकों के लिए जारी कर दिया है। इस वैक्सीन को गैमलेया नेशनल रिसर्च सेंटर ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी और रूसी डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) द्वारा विकसित किया गया है, जिसे 11 अगस्त को पंजीकृत किया गया था.
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल ने बताया कि रूस की वैक्सीन पर सरकार की नजरे हैं. पॉल ने कहा, "रूस द्वारा बनाई गई वैक्सीन पर विचार किया जा रहा है. रूसी सरकार ने सरकार से संपर्क करते हुए दो चीजों पर मदद मांगी है। पहला- देश की नेटवर्क कंपनियों की मदद से वैक्सीन का बड़े स्तर पर निर्माण करना. दूसरा- भारत में वैक्सीन का फेज-3 का ट्रायल. डॉ. पॉल ने कहा, "भारत सरकार अपने खास दोस्त से साझेदारी के इस प्रस्ताव को बहुत महत्व देती है. भारत के लिए इसे जीत की स्थिति करार देते हुए पॉल ने कहा, "भारत उस वैक्सीन का निर्माण बड़ी और महत्वपूर्ण मात्रा में कर सकता है, जो रूस और भारत के लिए अच्छा है और उस मात्रा का विशिष्ट भाग अन्य दुनिया को भी प्रदान किया जा सकता है." यह भी पढ़े: Sputnik V Vaccine Update: रूस ने तैयार किया कोविड-19 वैक्सीन का पहला बैच
नीति आयोग के सदस्य ने कहा, "हम इस वैक्सीन उम्मीदवार के साथ मैन्यूफैक्च रिंग, ट्रायल और नियामक प्रक्रिया के लिए विज्ञान एवं मानवता की भावना के निर्माण के लिए साझेदारी में काम कर रहे हैं।उन्होंने बताया कि इसके लिए भारत में कई कंपनियों के लिए आउटरीच का विस्तार किया गया है और उनमें से चार पहले से ही आगे आई हैं। पॉल ने कहा कि अन्य लोग अपने रूसी समकक्ष के साथ चर्चा कर रहे हैं और सरकार इस प्रक्रिया की सुविधा दे रही है कि कैसे कनेक्शन बनाया जा सकता है.
बता दें कि भारत में पहले से तीन वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है। इनमें भारत बायोटेक के वैक्सीन फेज-दो ट्रायल के लिए मंगलवार से ही लोगों का पंजीकरण शुरू हो गया है। जबकि कैडिला-जायडस के फेज-दो का ट्रायल पहले से चल रहा है.तीसरा वैक्सीन आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का है, जिसे भारत में सीरम इंस्टीट्यूट बनाने जा रहा है. इसके तीसरे फेज का परीक्षण अगले महीने 17 स्थानों पर शुरू होगा, जिनमें 1600 लोगों को वैक्सीन दी जाएगी। इस वैक्सीन का पहले ही अमेरिका और ब्राजील में हजारों लोगों पर ट्रायल चल रहा है.