यूएई में 5 महीने से बिस्तर पर पड़े प्रवासी की भारत वापसी, अस्पताल ने माफ किया बिल

5 महीने पहले आए स्ट्रोक के कारण अस्पताल के बिस्तर पर जिंदगी गुजार रहे एक भारतीय प्रवासी आखिरकार भारत में अपने गृहनगर पहुंच गए हैं. भारतीय दूतावास के सहयोग से प्रवासी को भारत भेजने में मदद करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण कुमार ने कहा, 60 साल के रामचंद्रन कोटककुन्नू ने जब दुबई से उड़ान भरी तब वे व्हीलचेयर पर थे. रामचंद्रन 30 साल से ज्यादा समय तक यूएई में रहे और वहां उन्होंने एक सफल बिजनेस चलाया. फिर एक नुकसान में उन्होंने सब कुछ खो दिया.

फ्लाइट (Photo Credits: Pixabay)

दुबई, 30 सितंबर. 5 महीने पहले आए स्ट्रोक के कारण अस्पताल के बिस्तर पर जिंदगी गुजार रहे एक भारतीय प्रवासी आखिरकार भारत में अपने गृहनगर पहुंच गए हैं. भारतीय दूतावास के सहयोग से प्रवासी को भारत भेजने में मदद करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण कुमार ने कहा, 60 साल के रामचंद्रन कोटककुन्नू ने जब दुबई से उड़ान भरी तब वे व्हीलचेयर पर थे. रामचंद्रन 30 साल से ज्यादा समय तक यूएई में रहे और वहां उन्होंने एक सफल बिजनेस चलाया. फिर एक नुकसान में उन्होंने सब कुछ खो दिया.

खलीज टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, व्यवसाय खत्म होने के बाद उन्होंने नैफ जिले के धीरा में एक दुकान में ढाई हजार दिरहम की सैलरी पर नौकरी कर ली. वह संघर्ष करते रहे क्योंकि उनकी पत्नी और बेटी दोनों बीमार हैं. कुमार ने बताया, "उनकी पत्नी को कैंसर है और उनकी बेटी को दिल की बीमारी है। उन्हीं की वजह से वह अभी भी संयुक्त अरब अमीरात में रह रहे थे, ताकि वे उनके अस्पताल के बिल भर सकें. फिर उन्हें स्ट्रोक आ गया. वे 5 महीने तक अस्पताल में रहे, जहां उनका बिल 16 लाख दिरहम तक पहुंच गया." यह भी पढ़ें-COVID-19 Vaccine Update: कोरोना वैक्सीन को लेकर चीन-UAE से आई अच्छी खबर, तीसरे चरण के ट्रायल में दिखे सकारात्मक परिणाम

इसके बाद वाणिज्य दूतावास ने उन्हें भारत आने के लिए फ्लाइट का टिकट और एक व्हीलचेयर दी. प्रवीण ने कहा, "रामचंद्रन अभी भी बोल नहीं पाते हैं. भारत के वाणिज्य दूतावास और मिशन की चिकित्सा टीम के स्वयंसेवकों के हस्तक्षेप के चलते आखिरकार रामचंद्रन को केरल के कासरगोड जिले में उनके गृहनगर में वापस लाया गया। वह अब कर्नाटक के मैंगलोर के एक बड़े अस्पताल में भर्ती हैं.

श्रम के वाणिज्य दूत जितेंद्र सिंह नेगी ने खलीज टाइम्स को बताया, "रामचंद्रन को हमारे समर्थन से भारत वापस भेज दिया गया है। उन पर अस्पताल का 16 लाख दिरहम का बिल बाकी था लेकिन अस्पताल ने दयालुता दिखाते हुए उन्हें छोड़ दिया.

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