Sudan Crisis News: सूडान में भूख और हिंसा से बिगड़े हालात, भुखमरी की कगार पर 2 करोड़ लोग; WFP ने जारी की चेतावनी
सूडान में चल रहे संघर्ष ने मानवीय संकट को बेहद गंभीर बना दिया है. दी गई रिपोर्ट के अनुसार अंतरराष्ट्रीय राहत एजेंसियों का कहना है कि देश में करीब 2 करोड़ लोग तेज भूख का सामना कर रहे हैं.
Sudan Crisis News: सूडान में चल रहे संघर्ष ने मानवीय संकट को बेहद गंभीर बना दिया है. दी गई रिपोर्ट के अनुसार अंतरराष्ट्रीय राहत एजेंसियों का कहना है कि देश में करीब 2 करोड़ लोग तेज भूख का सामना कर रहे हैं, जिनमें लगभग 60 लाख लोग सीधी भूखमरी के खतरे में हैं. राहत संस्थाओं के मुताबिक वे कोशिशें तो कर रही हैं, लेकिन हालात इतने खराब हैं कि उनकी मदद पर्याप्त साबित नहीं हो रही.
कई इलाकों में राहत पहुंचाना मुश्किल
मानवीय टीमों ने बताया कि वे हवाई सहायता, डिजिटल कैश और काफिले भेजने जैसे सभी विकल्प आजमा चुकी हैं. बावजूद इसके, हिंसा वाले क्षेत्रों में पहुंचना लगभग असंभव हो गया है. खासकर नॉर्थ दारफूर की राजधानी एल-फाशेर और वेस्ट कोर्डोफान के बाबनूसा जैसे इलाके महीनों तक घिराबंदी में रहे, जहां लड़ाई की वजह से कोई राहत सामग्री नहीं पहुंच सकी. आरएसएफ ने इन इलाकों पर कब्जे का दावा किया है, हालांकि सरकारी सेना इसे नकार रही है.
कोर्डोफान में हालात और बिगड़ने का खतरा
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दुनिया का ध्यान अब कोर्डोफान क्षेत्र की ओर जाना चाहिए, जहां सरकारी सेना और आरएसएफ के बीच हिंसा लगातार तेज हो रही है. संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख ने भी चेतावनी दी है कि यहां बड़े पैमाने पर अत्याचार होने का खतरा है, जैसा एल-फाशेर में देखा गया था.
अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों पर सवाल, सूडानी सरकार का आरोप
दोहा फोरम के दौरान सूडान के न्याय मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की राहत व्यवस्था पर सवाल उठाए और कहा कि उन्होंने पर्याप्त मदद नहीं पहुंचाई. साथ ही उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात पर आरएसएफ को समर्थन देने का आरोप लगाया, जिसे यूएई पहले ही नकार चुका है. मंत्री ने कहा कि सरकार ने हजारों वीज़ा देकर राहतकर्मियों के लिए रास्ता आसान किया, लेकिन मदद उम्मीद से बहुत कम है.
हमलों, हत्याओं और यौन हिंसा की बढ़ती घटनाएं
एक अन्य रिपोर्ट में बताया गया कि साउथ कोर्डोफान के कलोगी इलाके में आरएसएफ के हमले में 116 लोगों की मौत हो गई, जिनमें कई छोटे बच्चे भी शामिल हैं. वहीं विस्थापित महिलाओं पर यौन हिंसा के मामले भी सामने आए हैं, जिनकी डॉक्टरों ने पुष्टि की है. इन घटनाओं ने देश के संकट को और गहरा बना दिया है.