तुर्की में बवाल: सरकार से इस्तीफे की मांग, सड़कों पर उबाल

तुर्की में एक लोकप्रिय विपक्षी नेता की गिरफ्तारी के विरोध में बड़े स्तर पर प्रदर्शन हो रहे हैं.

तुर्की में बवाल: सरकार से इस्तीफे की मांग, सड़कों पर उबाल
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

तुर्की में एक लोकप्रिय विपक्षी नेता की गिरफ्तारी के विरोध में बड़े स्तर पर प्रदर्शन हो रहे हैं. विपक्षी नेता, राष्ट्रपति एर्दोवान पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं. सरकार के इस्तीफे की मांग की जा रही है. क्या है पूरा मामला?तुर्की में हो रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनों में प्रदर्शनकारियों और प्रशासन के बीच टकराव जारी है. 21 मार्च (शुक्रवार) की रात लगातार तीसरे दिन प्रदर्शनकारी सड़कों पर नजर आए. इन प्रदर्शनों को पिछले एक दशक में हुआ तुर्की का सबसे बड़ा स्ट्रीट प्रोटेस्ट बताया जा रहा है.

एर्दोवान को चुनौती देने वाले इस्तांबुल के मेयर हिरासत में

समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, इस्तांबुल से शुरू हुए प्रदर्शन तीन दिन के भीतर देश के 81 में से 50 से ज्यादा प्रांतों में फैल गया है. देश के तीन सबसे बड़े शहरों इस्तांबुल, अंकारा और इजमीर में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच टकराव की खबर है. आंतरिक मामलों के मंत्री अली येरलिकाया ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि बीती रात 97 संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है. अब तक 340 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हुई है.

एर्दोवान ने प्रदर्शनों को "सड़क पर हो रहा आतंक" बताया

राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोवान ने प्रदर्शनों के संदर्भ में विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह सड़कों पर अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहा है.

तुर्की में अब कितने जरूरी रह गये हैं एर्दोवान

एक लंबी सोशल मीडिया पोस्ट में एर्दोवान ने लिखा, "तुर्की ऐसा देश नहीं है, जो सड़कों पर हो. ये स्ट्रीट टेररिजम के आगे घुटने नहीं टेकेगा. पवित्र रमजान के आध्यात्मिक माहौल को खराब मत कीजिए. हम कानून-व्यवस्था में खलल डाले जाने को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे. जिस तरह हमने पहले कभी सड़कों पर मचाए जा रहे आतंक और तोड़-फोड़ के आगे आत्मसमर्पण नहीं किया है, वैसे ही ना अब, ना फिर कभी आत्मसमर्पण करेंगे."

तुर्की में क्यों हो रहे हैं जनप्रदर्शन?

एकरम इमामोग्लु, तुर्की के सबसे बड़े शहर इस्तांबुल के मेयर हैं और काफी लोकप्रिय नेता माने जाते हैं. वह देश के मुख्य विपक्षी दल रिपब्लिकन पीपल्स पार्टी (तुर्की भाषा में संक्षिप्त नाम, सीएचपी) के नेता और राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवार हैं. यह देश की सबसे पुरानी पार्टी है. मुस्तफा कमाल अतातुर्क के नेतृत्व में इसका गठन सितंबर 1923 में हुआ था. आधुनिक तुर्की के गठन और नेतृत्व में इस पार्टी की अहम भूमिका रही है.

देश में अगला राष्ट्रपति चुनाव 2028 में होना है, लेकिन सीएचपी अभी ही राष्ट्रपति पद के लिए इमामोग्लु की उम्मीदवारी पुख्ता करना चाहती थी. इसी क्रम में 23 मार्च को सीएचपी की ओर से प्राइमरी का आयोजन होना था, जिसमें लाखों पार्टी सदस्यों के हिस्सा लेने की उम्मीद थी. प्राइमरी से आशय उस आंतरिक प्रक्रिया से है, जब पार्टी के नेता और सदस्य मिलकर चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार चुनें.

एर्दोआन को बड़ा झटका, इस्तांबुल का चुनाव जीते इमामोग्लू

खबरों के मुताबिक, इस प्राइमरी में इमामोग्लु आधिकारिक तौर पर नामांकित किए जाने वाले थे. विशेषज्ञों के मुताबिक, चुनाव से काफी पहले ही इमामोग्लु की उम्मीदवारी को पुख्ता करना रणनीतिक फैसला है, ताकि आने वाले सालों में उनकी लोकप्रियता और राजनीतिक आधार में बड़े विस्तार की संभावनाएं बने और यह संकेत जाए कि विपक्ष पूरी तरह से उनके नेतृत्व में भरोसा रखता है.

प्रस्तावित प्राइमरी से पहले ही 18 मार्च को इस्तांबुल यूनिवर्सिटी ने इमामोग्लु की डिप्लोमा की डिग्री रद्द कर दी. शिक्षा बोर्ड के नियमों में कथित उल्लंघन को आधार बताया गया. यह बड़ी कार्रवाई थी क्योंकि तुर्की में राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने के लिए विश्वविद्यालय की डिग्री जरूरी है.

इस कार्रवाई के अगले ही दिन, 19 मार्च को तड़के भ्रष्टाचार और आतंकवाद के कथित मामलों में उनके घर छापेमारी हुई और मेयर इमामोग्लु गिरफ्तार कर लिए गए. विशेषज्ञों के मुताबिक, इस कार्रवाई के कारण इमामोग्लु के हाथ से इस्तांबुल के मेयर का पद भी निकल सकता है. अगर 'कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी' के साथ उनके कथित संबंधों को लेकर आधिकारिक तौर पर आरोप तय होते हैं, तो उन्हें मेयर पद से हटाया जा सकता है. तुर्की समेत कई देशों में 'कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी' आतंकवादी संगठन की श्रेणी में है.

इमामोग्लु की गिरफ्तारी पर विपक्ष का आरोप

इमामोग्लु के समर्थकों का आरोप है कि यह गिरफ्तारी राजनीतिक मंशाओं से प्रेरित है. ऐसे आरोप पहले भी लगते रहे हैं. मेयर पद संभालने के बाद इमामोग्लु पर भ्रष्टाचार और रिश्वत लेने के आरोप लगाए जाते रहे हैं. वर्तमान घटनाक्रम को लेकर भी विपक्ष का आरोप है कि इमामोग्लु को गिरफ्तार करके सरकार एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी को रास्ते से हटाने की कोशिश कर रही है.

जर्मन तुर्कों को एर्दोवान क्यों भाते हैं?

सीएचपी ने कहा है कि इमामोग्लु की गिरफ्तारी का उनके नामांकन की प्रक्रिया पर असर नहीं पड़ेगा. प्रशासन ने विपक्ष के आरोपों से इनकार किया है. उनका दावा है कि विपक्षी नेताओं पर हुई कानूनी कार्रवाई का कोई राजनीतिक मकसद नहीं है और तुर्की की अदालतें स्वतंत्र रूप से फैसला लेती हैं.

प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई, सोशल मीडिया की निगरानी

इमामोग्लु की गिरफ्तारी के बाद देश में कई जगह पर प्रदर्शन शुरू हो गए, मुख्य रूप से रात के समय. जन प्रतिरोध के मद्देनजर राजधानी अंकारा समेत इस्तांबुल और इजमीर शहरों में सुरक्षा के भारी इंतजाम हैं. प्रदर्शन और जुटान पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

इसके बावजूद 21 मार्च को लगातार तीसरी रात प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे. प्रदर्शनों में हिस्सा लेने के लिए अब तक 53 लोगों पर आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं. प्रदर्शकारियों और पुलिस के बीच झड़प की भी खबरें हैं.

फिर जीते एर्दोवान, तुर्की-ईयू में बना रहेगा तनाव

समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक, 21 मार्च की रात इस्तांबुल में एक ओर जहां पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर पैपर स्प्रे, रबर बुलेट और आंसू गैस छोड़ा, वहीं बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश कर रहे प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थर फेंके. स्थानीय मीडिया के अनुसार, सरकार से इस्तीफे की मांग करते हुए कई अन्य शहरों में भी बड़े प्रदर्शन हो रहे हैं.

सोशल मीडिया की भी निगरानी की जा रही है. मंत्री अली येरलिकाया ने बताया कि नफरत भड़काने और आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के कथित आरोपों के सिलसिले में 326 सोशल मीडिया हैंडलों की जांच की जा रही है. 37 यूजरों को हिरासत में भी लिया गया है.

एर्दोवान पर राजनीतिक निरंकुशता के आरोप

दो दशक से भी लंबे एर्दोवान के शासन में ना यह पहला मौका है जब उनके खिलाफ प्रदर्शन हुए हों, ना ही उनपर राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के आरोप पहली बार लगे हैं.

एर्दोवान पर मानवाधिकारों के हनन, नागरिक अधिकारों को दबाने, अभिव्यक्ति और मीडिया की आजादी का हनन करने, लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने, विपक्षी नेताओं और आलोचकों-प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बनाने और निरंकुश सत्ता स्थापित करने के गंभीर आरोप लगते हैं. तुर्की में चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर भी सवाल उठते हैं.

इन आरोपों के बीच एर्दोवान के जनाधार में भी कमी आई है. वहीं इमामोग्लु, एर्दोवान के सबसे मजबूत राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बनकर उभरे हैं. विपक्ष को इमामोग्लु की उम्मीदवारी से काफी उम्मीद है. सीएचपी, इमामोग्लु की गिरफ्तारी के खिलाफ लोगों को एकजुट करने की कोशिश कर रही है. पार्टी के नेता ओजगूर ओजल ने 21 मार्च को एक रैली को संबोधित करते हुए लोगों से अपील की कि वे सड़कों पर उतरकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन में हिस्सा लें.

तुर्की के स्थानीय चुनाव तय करेंगे एर्दोवान और विपक्ष का भविष्य

उन्होंने कहा, "मैं सैकड़ों, हजारों और लाखों लोगों को शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने, हमारी लोकतांत्रिक प्रतिक्रिया को अभिव्यक्त करने और हमारे संवैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल करने के लिए आमंत्रित करता हूं." उन्होंने राष्ट्रपति एर्दोवान पर आरोप लगाया कि "मेयर इमामोग्लु को उचित तरीके से हराने में नाकाम रहने के बाद" न्यायपालिका को एक औजार की तरह इस्तेमाल किया.

विपक्ष ने लोगों से यह अपील भी की है कि वो 23 मार्च को एक सांकेतिक चुनाव में हिस्सा लें. इस अभियान के तहत, समूचे तुर्की में जगह-जगह सांकेतिक मतदान पेटियां रखवाई जाएंगी. लोगों से अपील की गई है कि वो वोट डालकर इमामोग्लु के साथ एकजुटता दिखाएं.

एसएम/आरएस (एपी, डीपीए, एएफपी, रॉयटर्स)


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