इस्लामाबाद: पाकिस्तान के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री इमरान खान शायद अपने प्रिय देश चीन की मंशा जानकर घबरा गए है. ऐसा इसलिए क्योकि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) की हमेशा गुणगान गाने वाला पाकिस्तान अब इसकी कुछ परियोजनाओं पर सवाल उठा रहा है. पाकिस्तान को यह तब महसूस हुआ जब अमेरिका ने कहा कि चीन कई देशों को अपना उपनिवेश बनाना चाहता है. जिसके बाद चीन के कर्ज जाल से डरे पाकिस्तान सरकार ने सीपीईसी की एक परियोजना पर पुनर्विचार करने की बात कही है.
चीन की मंशा भांपने के बाद अब पाकिस्तान के रेल मंत्री शेख राशिद ने कहा है कि हमारा देश गरीब है. हम चीन का भारी-भरकम कर्ज नहीं झेल सकते. अब पाकिस्तान चीन के रेल प्रोजेक्ट में दो बिलियन डॉलर की कटौती चाहता है. पाकिस्तान का कहना है कि हम अपनी हैसियत और जरूरत के मुताबिक ही आगे बढ़ेंगे.
पाकिस्तान साल 2013 जैसे एक बार फिर कंगाल होने की कगार पर है. एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान सरकार ने चीन और इसके बैंकों से अबतक करीब 5 अरब डॉलर का कर्ज लें चुकी है. उसपर चढ़े कर्ज के लिए प्रतिदिन छह अरब रुपए का ब्याज भरना पड़ रहा है. इस वजह से पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार भी खाली होने के कगार पर पहुंच गया है.
हाल ही में पाकिस्तान सिविल सर्विसेज कर्मचारियों को संबोधित करते हुए इमरान खान ने कहा था कि पाकिस्तान पर 300 खरब रुपए का कर्ज है और देश को बचाने के लिए जवाबदेही बहुत जरुरी है. और यदि जवाबदेही नहीं होगी तो देश को बचाया नहीं जा सकता है.
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रायटर की खबर के मुताबिक आर्थिक संकट से घिरा पाकिस्तान चीन के सिल्क रोड प्रोजेक्ट पर फिर से विचार कर रहा है. क्योकि पाकिस्तान को चीन के कर्ज जाल में फंसने का डर है. बता दें कि सिल्क रोड प्रोजेक्ट कराची और पेशावर के बीच रेल लाइन प्रोजेक्ट को कहा जाता है, जो चीन के बेल्ट ऐंड रोड इनिशटिव (बीआरआई) के तहत पाकिस्तान में बन रहा है. ब्रिटिश काल में 1872 किमी लंबी यह रेल लाइन बिछाई गई थी. अब उसके विस्तार और पुनर्निमाण में चीन ने दिलचस्पी दिखाते हुए 8.2 बिलियन डॉलर निवेश का फैसला किया था.
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बता दें की सीपीईसी प्रोजेक्ट चीन के सीक्यांग प्रांत को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ेगा. चीन अपनी महात्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट ऐंड रोड के तहत बनाए जा रहे सीपीईसी की आड़ में पाकिस्तान में अपने पांव जमा रहा है. चीन पाकिस्तान में पाइपलाइन, रेलवे समेत कई तरह के नेटवर्क में निवेश कर रहा है. चीन ने इस तरह के अपने 39 महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट बनाए हैं जिनमें से करीब 19 प्रोजेक्ट अब तक वह पेश कर चुका है. इसके लिए 2015 से अब तक चीन करीब 18.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का खर्चा कर चुका है.