एक ओर दुनिया कोरोना वायरस से परेशान है तो वहीं पाकिस्तान में पोलियो के 27 मामले सामने आए है
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) की सीनेटर आयशा रजा फारूक ने कहा कि जब डॉ. राणा सफदर पोलियो कार्यक्रम के प्रभारी थे तो पोलियो की स्थिति नियंत्रण में थी. आयशा पिछली पीएमएल-एन सरकार के दौरान पोलियो कार्यक्रम की जिम्मेदारी संभाल रही थीं.
Pakistan Polio Cases: पाकिस्तान में बच्चों को अभी तक पोलियो से निजात नहीं मिल सकी है. वर्ष 2020 के तीन महीने भी नहीं बीते हैं कि पाकिस्तान में पोलियो के 27 मामले सामने आ चुके हैं. इसलिए अब पाकिस्तान पोलियो के बढ़ते मामलों का पता लगाने के साथ ही इसकी रोकथाम के लिए नियुक्त अधिकारियों पर भी जिम्मेदारी निर्धारित करने के विचार में है. डॉन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाओं (एनएचएस) पर सीनेट की स्थायी समिति ने पाकिस्तान में बढ़ते पोलियो के मामलों पर चिंता व्यक्त की है. समिति के सदस्यों ने बुधवार को एक बैठक के दौरान पोलियो की रोकथाम के लिए नियुक्त बाबर बिन अट्टा को जिम्मेदार मानते हुए उन्हें इस मामले में तलब करने का सुझाव दिया.
इस दौरान सदस्यों ने बाबर से यह पूछे जाने की भी सलाह दी कि 2017 में पोलियो के महज आठ मामलों से लेकर 2019 तक 146 मामले आखिर कैसे हो गए. सदस्यों ने उन्हें उनकी जिम्मेदारी का अहसास कराने के लिए जवाबदेह बनाने का सुझाव दिया.
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) की सीनेटर आयशा रजा फारूक ने कहा कि जब डॉ. राणा सफदर पोलियो कार्यक्रम के प्रभारी थे तो पोलियो की स्थिति नियंत्रण में थी. आयशा पिछली पीएमएल-एन सरकार के दौरान पोलियो कार्यक्रम की जिम्मेदारी संभाल रही थीं. आयशा ने कहा कि डॉ. सफदर के समय मामलों की संख्या 306 से गिरकर आठ हो गई थी। उन्होंने सुझाव दिया कि बाबर को समिति की बैठक में बुलाया जाए और उनसे पूछा जाए कि इतने मामले क्यों बढ़े.
स्वतंत्र सीनेटर दिलावर खान ने उनके सुझाव से सहमति जताते हुए कहा कि लोगों को पता होना चाहिए कि इस स्थिति के लिए कौन जिम्मेदार है. समिति की अध्यक्ष सीनेटर खुशबख्त शुजात ने कहा कि कई देशों में पोलियो खत्म हो चुका है, मगर पाकिस्तान में अभी भी यह एक समस्या बनी हुई है इसलिए इसकी रोकथाम के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है.