कंगाली के कगार पर पाकिस्तान, जून तक 10 नागरिकों में 4 होंगे पैसों को मोहताज- दो साल पूरे होने पर PAK में 1.8 करोड़ गरीब

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार के दो साल पूरे होने पर 1.8 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी रेखा के नीचे चले जाएंगे. ऐसा कम आर्थिक वृद्धि और खाद्य महंगाई के दो अंकों में होने की वजह से है। यह दावा देश के जाने-माने अर्थशास्त्री ने किया है. पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री व पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के पूर्व सलाहकार हाफिज ए.पाशा ने कहा कि पीटीआई सरकार के पहले साल के समाप्त होने तक 80 लाख लोग पहले ही गरीबी की श्रेणी में चले गए हैं. उन्होंने अनुमान जाहिर किया कि और एक करोड़ से ज्यादा लोग वर्तमान वित्त वर्ष के समाप्त होने पर गरीबी रेखा से नीचे चले जाएंगे.

इमरान खान (Photo Credits: IANS)

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार के दो साल पूरे होने पर 1.8 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी रेखा के नीचे चले जाएंगे. ऐसा कम आर्थिक वृद्धि और खाद्य महंगाई के दो अंकों में होने की वजह से है। यह दावा देश के जाने-माने अर्थशास्त्री ने किया है. पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री व पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के पूर्व सलाहकार हाफिज ए.पाशा ने कहा कि पीटीआई सरकार के पहले साल के समाप्त होने तक 80 लाख लोग पहले ही गरीबी की श्रेणी में चले गए हैं. उन्होंने अनुमान जाहिर किया कि और एक करोड़ से ज्यादा लोग वर्तमान वित्त वर्ष के समाप्त होने पर गरीबी रेखा से नीचे चले जाएंगे.

पाशा ने मंगलवार को 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' से बातचीत में कहा, "(बेहद कम) आर्थिक वृद्धि दर व नष्ट होने वाले खाद्य पदार्थो की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि की वजह से स्थिति बहुत भयावह है. आर्थिक वृद्धि दर का हाल तो यह है कि यह देश की जनसंख्या दर के समान हो गई है. योजना व विकास के संघीय मंत्री असद उमर से जब इस बारे में उनकी प्रतिक्रिया के लिए संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा, हमारे पास गरीबी के नवीनतम आधिकारिक आंकड़े नहीं हैं. यह भी पढ़ें:- पाकिस्तान की फिर किरकिरी, F-16 फाइटर प्लेन के गलत इस्तेमाल पर अमेरिका ने जमकर फटकारा.

उमर ने कहा कि पीटीआई सरकार ने गरीबी उन्मूलन के उपायों को तेज किया है, जिसका मकसद व्यापक अर्थिक समायोजन के प्रतिकूल प्रभाव से गरीबों और कमजोर लोगों की रक्षा करना है. पाशा ने कहा कि सरकार द्वारा करों में वृद्धि, ऊर्जा शुल्क में वृद्धि और मुद्रा के अवमूल्यन ने गरीबी बढ़ाने का काम किया है. पाशा के अनुसार, अगले साल जून तक दस पाकिस्तानियों में से चार गरीब होंगे.

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