इस्लामाबाद: दुनियाभर में आतंकिस्तान के नाम से पहचा बना चुके पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो चुकी है. हालत इतनी ख़राब है कि इमरान सरकार ने अति-महत्वपूर्ण डिफेंस बजट में किसी भी प्रकार की बढोतरी नहीं करने का फैसला लिया है. पाकिस्तान की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए इमरान सरकार का अब तक का कामकाज बेकार साबित हुआ है. हाल ही में आए पाकिस्तान के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार देश की आर्थिक विकास दर महज 3.3 फीसदी रही जो कि मौजूदा सरकार ने 6.3 फीसदी करने की योजना बनाई थी.
अगामी बजट से ठीक पहले इमरान सरकार का रिपोर्ट कार्ड पाकिस्तान की मीडिया ने सामने लाया है. जून में समाप्त हो रहे वित्त वर्ष को लेकर बनाए गए इस आर्थिक सर्वेक्षण में कृषि, उद्योग, सेवा सहित तमाम क्षेत्रों में इमरान सरकार की नीतियां फेल हुई है. केवल पशुधन ही एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें देश की सरकार ने निर्धारित लक्ष्य 3.8 फीसदी के मुकाबले चार फीसदी की संवृद्धि दर दर्ज की है.
डॉन न्यूज़ के अनुसार, पाकिस्तान के औद्योगिक क्षेत्र की हालत कुछ ठीक नहीं है. इस क्षेत्र का विकास दर महज 1.4 फीसदी रही, जिसे 7.6 फीसदी करने का लक्ष्य सरकार ने रखा था. इसके साथ ही सेवा क्षेत्र की विकास दर 4.7 फीसदी रही जबकि लक्ष्य 6.5 फीसदी रखी गई थी. निर्माण क्षेत्र की विकास दर 7.6 फीसदी रही जबकि इसमें लक्ष्य 10 फीसदी निर्धारित की गई थी.
रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में कृषि क्षेत्र की भी दुर्दशा जारी है. यहां भी विकास दर सिर्फ 0.8 फीसदी रही जो कि इमरान सरकार ने 3.8 फीसदी करने का लक्ष्य तय किया था.
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हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने घोषणा की थी कि गंभीर आर्थिक हालात के चलते सेना स्वेच्छा से अपने खर्चो में कटौती करने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा था कि कई सुरक्षा चुनौतियों के बावजूद यह फैसला लिया गया है. पाकिस्तान का निवर्तमान वित्तीय वर्ष (2018-19) के लिए मूल बजटीय आवंटन 1100 अरब पाकिस्तानी रुपये है.
गौरतलब हो कि पाकिस्तान सरकार ने पिछले महीने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के साथ छह अरब डॉलर के राहत पैकेज पर बात पक्की की. इस समझौते के तहत आईएमएफ (IMF) खस्ताहाल अर्थव्यवस्था वाले पाकिस्तान को तीन वर्षों में छह अरब डॉलर का ‘बेलआउट पैकेज’ देगा.
बता दें कि पाकिस्तान खुद को गंभीर आर्थिक संकट से निकालने के लिए आईएमएफ से 8 अरब डॉलर का कोष चाहता था. इसके लिए पाकिस्तान पिछले आठ महीने से आईएमएफ के पीछे पड़ा हुआ था.