पाकिस्तान ने गुरुवार को अमेरिका के देश को अपनी धार्मिक स्वतंत्रता ब्लैकलिस्ट में जोड़ने और भारत को इससे बाहर करने के हालिया फैसले पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा कि यह फैसला 'पाकिस्तान की जमीनी हकीकत से अलग' है. यह भी पढ़ें: कनाडा में पंजाब की लड़की की गोली मारकर हत्या, परिजन बोले- 'हमें न्याय चाहिए
दि न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, विदेश कार्यालय (एफओ) के प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच के हवाले से दिए गए एक बयान में, इस बात पर प्रकाश डाला गया कि पाकिस्तान में 'अंतर-धार्मिक सद्भाव की समृद्ध परंपरा के साथ बहु-धार्मिक और बहुलवादी समाज' है.
पिछले हफ्ते, अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर पाकिस्तान, चीन, क्यूबा और निकारागुआ को ब्लैक लिस्ट (2021 से विशेष चिंता वाले देश) में डालते हुए संभावित प्रतिबंधों का रास्ता खोल दिया था.
एफओ प्रवक्ता ने पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट में डालने के अमेरिकी विदेश विभाग के 'एकतरफा और मनमाना' कहे जाने पर 'गहरी चिंता और निराशा' व्यक्त की.
द न्यूज ने बताया कि भारत को 'धार्मिक स्वतंत्रता का सबसे बड़ा उल्लंघनकर्ता' कहते हुए, उन्होंने सवाल किया कि यूएससीआईआरएफ द्वारा 'क्लियर रिकमेंडेशन' के बावजूद देश को ब्लैकलिस्ट से बाहर क्यों रखा गया.
द न्यूज ने बताया कि उन्होंने कहा, 'स्पष्ट चूक' पूरी प्रक्रिया की विश्वसनीयता और पारदर्शिता के बारे में गंभीर सवाल उठाती है और इसे एक व्यक्तिपरक और भेदभावपूर्ण अभ्यास बनाती है.
एफओ प्रवक्ता ने इस पर प्रकाश डालते हुए कहा, "धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भारत के व्यवहार पर अंतर्राष्ट्रीय चिंता अमेरिकी कांग्रेस की कई सुनवाई और मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के विशेष प्रक्रिया जनादेश धारकों और प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों की रिपोर्ट का विषय रही है."
उन्होंने कहा कि हमने इस पदनाम के संबंध में अमेरिकी सरकार को अपनी चिंताओं से अवगत करा दिया है.