नीदरलैंड: यूक्रेन के शरणार्थी जो अब अधर में लटके हुए हैं
जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो तो नीदरलैंड ने बिना राष्ट्रीयता की परवाह किए, भागने वाले सभी लोगों को शरणार्थी का दर्जा दिया.
जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो तो नीदरलैंड ने बिना राष्ट्रीयता की परवाह किए, भागने वाले सभी लोगों को शरणार्थी का दर्जा दिया. उस नीति पर अब अदालत में बहस हो रही है, जिससे हजारों लोगों का भविष्य अधर में है.मरियम एडेशोगा साल 2019 में जब यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंचीं, तो वहां उन्होंने अपना भविष्य कुछ इस तरह देखा, जिसके बारे में वो कहती हैं कि एक महिला कंप्यूटर प्रोग्रामर के तौर पर वैसा भविष्य उनके मूल देश नाइजीरिया में संभव नहीं होगा. 30 वर्षीया एडेशोगा को अपनी मास्टर डिग्री हासिल करने के लिए छात्र वीजा मिला था और उन्हें वहां पहुंचते ही घर जैसा महसूस हुआ.
एडेशोगा ने मुस्कुराते हुए बताया, "जब मैं वहां पहुंची तो मैं लोगों से मिलकर खुश हो गई. वहां का माहौल शांत और मनमोहक था. तो मुझे ऐसा लगा कि यह अच्छी जगह है. यहां मैं अपने पूरे जीवन की शुरुआत कर सकती हूं और अपना भविष्य भी यहीं देख सकती हैं.”
2022 में दस लाख लोगों ने यूरोपीय संघ में शरण मांगी
एडेशोगा वहां यूक्रेनी छात्रों के साथ रहीं, भाषा और संस्कृति का अध्ययन किया और अन्य युवा महिलाओं को प्रोग्रामिंग क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए प्रेरित करने के अपने सपनों की दिशा में काम किया. उनकी निजी तस्वीरों में उन्हें समुद्र तट पर दोस्तों के साथ, एक कैफे में, कीव की सड़कों पर तस्वीरें खिंचाने के लिए मुस्कराते हुए देखा जा सकता है.
डीडब्ल्यू से बातचीत में वो कहती हैं, "मैंने कभी यूक्रेन छोड़ने की योजना नहीं बनाई थी. यूक्रेन मुझे बहुत सुरक्षित लग रहा था.” वह कहती हैं, "लेकिन उसके बाद सब कुछ गायब हो गया, जब रूस ने 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन के खिलाफ अपना युद्ध शुरू किया.”
यूक्रेन पर हमलेके बाद वहां के तमाम छात्रों और अन्य लोगों की तरह, एडेशोगा भी आश्रय स्थलों में छिपने के लिए भाग गईं ताकि बमबारी से सुरक्षित रह सकें. कुछ दिनों तक लगातार डरने के बाद, उन्होंने पोलैंड में सीमा पार की. फिर वह नीदरलैंड चली गईं और उनकी यह यात्रा एम्स्टर्डम में समाप्त हुई, जहां अल्पकालिक आवास के लिए उन्हें एक तैरते हुए होटल के एक छोटे से केबिन में जगह मिल गई.
एडेशोगा यहां 2 मार्च, 2022 को पहुंचीं और संयोग से उसी दिन यूरोपीय संघ ने पहली बार अपने 2002 टेम्प्रेरी प्रोटेक्शन डायरेक्टिव (टीपीडी) को सक्रिय करने का फैसला किया, ताकि यूक्रेन में युद्ध से भागने वालों को शरण आवेदन प्रक्रिया से गुजरने के लिए मजबूर किए बिना तुरंत सहायता मिल सके. डच सरकार ने इस निर्देश का सबसे उदार तरीके से प्रयोग किया और मूल देशों की परवाह किए बिना यूक्रेन छोड़ने वाले सभी लोगों का स्वागत किया.
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अभी तक, एडेशोगा और यूक्रेन तथा अन्य देशों से भागे हुए नागरिकों को यूक्रेन के अधिकांश नागरिकों और स्थायी निवासियों के समान सहायता पैकेज मिल रहा था, जिसमें आवास, चिकित्सा देखभाल, जीवन निर्वाह भत्ता और शिक्षा की सुविधाएं भी शामिल थीं.
हृदय परिवर्तन और मदद
इस साल की शुरुआत में सरकार ने फैसला किया कि ऐसे बचे करीब 3,000 लोग जिनके पास यूक्रेन में रहने का स्थायी अधिकार नहीं है, उन्हें 4 सितंबर तक नीदरलैंड छोड़ना होगा और उनके सभी अधिकार और लाभ भी खत्म कर दिए जाएंगे.
प्रभावित लोगों में से एक व्यक्ति ने नाम नहीं छापने की शर्त पर हार्लेम के मेयर की ओर से मिले उस पत्र को दिखाया जिसमें उसने 4 सितंबर की आधी रात तक सरकार की ओर से मिले आवास को छोड़ने की मांग की थी.
पत्र में लिखा है, "यदि आप समय पर आश्रय नहीं छोड़ते हैं, तो नगर पालिका आपको जबरन भेजने के लिए कदम उठा सकती है...और ऐसा करने की कीमत चुकाने के लिए आपको जिम्मेदार ठहरा सकती है. यदि आप वैध रूप से नीदरलैंड के निवासी नहीं हैं, तो आपको देश छोड़ना होगा और अब आपको यहां काम करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.”
इस पत्र में लिखा है कि यदि पत्र मिलने पर वह स्वेच्छा से नीदरलैंड नहीं छोड़ता है, तो सरकार उसे जबरन वापस भेजने की व्यवस्था कर सकती है.
रिफ्यूजियों में भेदभाव करता यूरोप
इस फैसले के संबंध में, डच सरकार ने प्रभावित तीसरे देश के नागरिकों को अपनी मर्जी से नीदरलैंड छोड़ने के लिए 5,000 यूरो की पेशकश की. यह उस सिस्टम में शरण के लिए आवेदन करने के लिए एकमात्र अन्य विकल्प था जो पहले से ही तनावपूर्ण है. फिर, उन्हें यह भी बताने की जरूरत होगी कि यदि वे अपने गृह देशों में वापस लौटे तो उनका जीवन खतरे में होगा- जिससे बचने के लिए बना अस्थायी सुरक्षा तंत्र स्पष्ट रूप से सिस्टम पर एक बोझ बनाया गया था.
नीदरलैंड का इमिग्रेशन एंड नेचुरलाइजेशन सर्विस (आईएनडी), डच मिनिस्ट्री ऑफ सोशल जस्टिस एंड सिक्योरिटी का हिस्सा है. आईएनडी ने अपने फैसले में कहा है यूरोपीय संघ के निर्देश के तहत नीदरलैंड में आने वाले तीसरे देश के नागरिकों वाले सिस्टम का ‘दुरुपयोग' किया जा रहा है.
प्रवासन मंत्री एरिक वैन डेर बर्ग कहते हैं, "हमारे लिए उन लोगों को सुरक्षा प्रदान करना बेहद महत्वपूर्ण है जो अपने ही देश में सुरक्षित नहीं हैं. साथ ही, हम नगर पालिकाओं पर अधिक बोझ नहीं डालना चाहते.” डीडब्ल्यू ने इस फैसले के बारे में वैन डेर बर्ग से इंटरव्यू के लिए कई बार अनुरोध किया लेकिन न्याय मंत्रालय ने उन अनुरोधों को खारिज कर दिया.
मामला अदालत में पहुंचा
कई तीसरे देश के नागरिकों ने आदेश के खिलाफ अपील की और विभिन्न अदालतें उनके व्यक्तिगत मामलों और निर्णय लेने के सरकार के अधिकार दोनों पर विचार कर रही हैं. कानूनी फैसले से पहले ही सुरक्षा समाप्त करने पर अपनी स्थिति बनाए रखने के लिए वैन डेर बर्ग के लिए आखिरकार दबाव बहुत अधिक साबित हुआ. सप्ताहांत में, वे लाभ और निवास अनुमति को समाप्त करने वाले अपने आदेश को निलंबित करने पर सहमत हुए.
लोटे वान डिपेन, एम्स्टर्डम में एवरएर्ट इमिग्रेशन अटॉर्नी के साथ रहने के अधिकार के लिए अपील करने वाले मुकदमों में मरियम एडेशोगा सहित कुछ तीसरे देश के नागरिकों का प्रतिनिधित्व करती हैं. उनका मानना है कि जिन लोगों को शुरू में निर्देश के दायरे में लाया गया था, यदि उन्होंने डच कानून या सिस्टम में किन्हीं शर्तों का उल्लंघन नहीं किया है तो उनके पास रहने का कानूनी अधिकार बना रहेगा.
घर लौटने के लिए बेचैन हो रहे हैं यूक्रेन के लोग
वान डिपेन का एक तर्क यह है कि चूंकि यूरोपीय परिषद ने अस्थाई संरक्षण निर्देश को सक्रिय किया है, इसलिए उन अधिकारों को हटाने का फैसला भी परिषद द्वारा ही लिया जाना चाहिए. यूरोपीय परिषद में यूरोपीय संघ के देशों के राष्ट्राध्यक्ष और सरकारें शामिल होती हैं.
वो कहती हैं, "यह तय करना मंत्री का अधिकार नहीं है कि यह कब समाप्त होगा. निर्देश में ऐसे प्रावधान हैं जो निर्धारित करते हैं कि किन परिदृश्यों में अस्थायी सुरक्षा समाप्त हो सकती है, और वे परिदृश्य यहां लागू नहीं होते हैं. कम से कम मेरे मामलों में तो बिल्कुल भी नहीं. मेरे लोग या तो काम कर रहे हैं या पढ़ाई कर रहे हैं. उन लोगों ने तो यह सोचकर यहां रहना शुरू कर दिया कि जब तक अस्थायी सुरक्षा निर्देश लागू होगा तब तक उन्हें यहां रहने की अनुमति है.”
विरोध और याचिकाएं
अब जो लोग इसे लेकर प्रदर्शनों का आयोजन कर रहे हैं, वे एक ऑनलाइन याचिका को प्रोत्साहित कर रहे हैं और सरकार से अपने फैसले का पुनर्मूल्यांकन करने की अपील कर रहे हैं. अभी उनके पास थोड़ा और समय है, लेकिन उनके पास अपने भविष्य के सवाल के बारे में अभी तक कोई और जवाब नहीं है.
मरियम एडेशोगा को शुक्रवार को एक व्यक्तिगत निर्णाय प्राप्त हुआ जिसमें उन्हें देश में रहने और काम करने की अनुमति दी गई क्योंकि वह आगे के अदालती फैसलों का इंतजार कर रही हैं. हालांकि यह एक अस्थायी राहत है, फिर भी एडेशोगा का कहना है कि वह सिर्फ अपने सपने पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश कर रही हैं कि एक दिन वह अच्छे के लिए काम शुरू कर सकती हैं और ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को कंप्यूटर प्रोग्रामर बनने के लिए प्रेरित कर सकती हैं, चाहे वे किसी भी देश में हों.