म्यांमार, 28 मार्च : ऑनलाइन समाचार वेबसाइट ‘म्यांमा नाउ’ ने बताया कि प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई में 114 लोग मारे गए. यांगून में मौजूदा समय के मृत्यु के आंकड़े एकत्र कर रहे एक स्वतंत्र शोधकर्ता ने मरने वाले लोगों की संख्या 107 बताई है. ये मृतक करीब दो दर्जन शहरों और कस्बों से थे. इससे पहले, सर्वाधिक प्रदर्शनकारी 14 मार्च को मारे गए गए थे. उस दिन सेना की कार्रवाई में 74 से 90 लोगों की मौत हुई थी. एसोसिएटेड प्रेस स्वतंत्र रूप से मौत के इन आंकड़ों की पुष्टि नहीं करता है. ‘एसोसिएशन ऑफ पॉलिटिकल प्रिजनर्स’ (Association of Political Prisoners) ने शुक्रवार तक तख्तापलट के बाद हुए दमन में 328 लोगों की मौत की पुष्टि की थी. इन हत्याओं को लेकर म्यांमा सेना की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक निंदा हो रही है. 12 देशों के रक्षा प्रमुखों ने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘‘एक पेशेवर सेना आचरण के अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करती है और लोगों को नुकसान पहुंचाने के बजाए उनकी रक्षा करती है. हम म्यांमा सशस्त्र बल (Myanmar Armed Forces) से अपील करते हैं कि वह हिंसा बंद करे और म्यांमा के लोगों में अपना सम्मान एवं विश्वसनीयता फिर से कायम करने के लिए काम करें, जो कि उसने अपने इन कृत्यों से गंवा दी है.’’
म्यांमा के लिये यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल ने ट्वीटर पर कहा, “76वां म्यांमा सशस्त्र बल दिवस आतंकवाद और अपमान के दिन के तौर पर याद किया जाएगा. बच्चों समेत निहत्थे नागरिकों की हत्या ऐसा कृत्य है, जिसे किसी भी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता.” म्यांमा में अमेरिका के राजदूत थॉमस वाजदा ने एक बयान में कहा कि सुरक्षा बल निहत्थे नागरिकों की हत्या कर रहे हैं, जो कि पेशेवर सेना या पुलिस बल कभी नहीं करता. आन सान सू ची की निर्वाचित सरकार को एक फरवरी को तख्तापलट के जरिये हटाने के विरोध में होने वाले प्रदर्शनों से निपटने के लिये सेना बल का इस्तेमाल कर रही है और ऐसे में म्यांमा में मरने वाले प्रदर्शनकारियों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. करीब पांच दशक के सैन्य शासन के बाद लोकतांत्रिक सरकार की दिशा में हुई प्रगति पर इस सैन्य तख्तापलट ने विपरीत असर डाला है. जुंटा प्रमुख वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग ने तख्तापलट के खिलाफ राष्ट्रव्यापी प्रदर्शनों का प्रत्यक्ष जिक्र नहीं किया, लेकिन उन्होंने देश की राजधानी नेपीता के परेड मैदान में हजारों जवानों के समक्ष दिए भाषण में ‘‘राज्य की शांति एवं सामाजिक सुरक्षा के लिए हानिकारक हो सकने वाले आतंकवाद’’ का जिक्र किया और इसे अस्वीकार्य बताया. इस साल के कार्यक्रम को हिंसा को उकसाने के तौर पर देखा जा रहा है. प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि वे तख्तापलट का सार्वजनिक विरोध दोगुना करेंगे और बड़े प्रदर्शनों का आयोजन करेंगे. यह भी पढ़ें : Bangladesh: बांग्लादेश में शहीद हुए भारतीयों के सम्मान में पहले स्मारक के निर्माण की आधारशिला रखी गई
प्रदर्शनकारियों ने अवकाश को उसके मूल नाम ‘प्रतिरोध दिवस’ के तौर पर मनाया, जो द्वितीय विश्वयुद्ध में जापानी कब्जे के विरोध में बगावत की शुरुआत थी. सरकारी एमआरटीवी ने शुक्रवार रात को एक घोषणा दिखाई थी और विरोध प्रदर्शनों में आगे रहने वाले युवाओं से अनुरोध किया था कि वे प्रदर्शन के दौरान मारे गए लोगों से सबक सीखें कि उन्हें सिर में या पीठ पर गोली लगने का कितना खतरा है. इन प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षा बलों का सबसे ज्यादा शिकार प्रदर्शन में आगे रहने वाले युवा बने हैं. इस चेतावनी को व्यापक रूप से धमकी के तौर पर लिया जा रहा है, क्योंकि मरने वालों में अधिकतर प्रदर्शनकारियों के सिर में गोली लगी थी जो इस बात का संकेत है कि उन्हें निशाना बनाया गया था. इस घोषणा में यह संकेत दिया गया कि कुछ युवा इन प्रदर्शनों को खेल समझकर हिस्सा ले रहे हैं और उनके माता-पिता और दोस्तों से अनुरोध किया कि वे उनसे इन प्रदर्शनों में शामिल न होने के लिये बात करें.