लंदन: ब्रिटेन में पांच लाख से भी अधिक बच्चों को साल 2010 से 2017 के बीच खसरे का महत्वपूर्ण टीका नहीं लग पाया. यूनीसेफ द्वारा बच्चों पर किए गए एक विश्लेषण से इस बात का पता चलता है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि खसरा एक अत्यधिक संक्रमित बीमारी है, जिससे आगे चलकर शरीर को कई खतरों का सामना करना पड़ सकता है. यह फेफड़े और दिमाग को भी अपनी चपेट में ले सकता है. इससे बचने के लिए बच्चों को वैक्सीन की दो खुराक जरूर दी जानी चाहिए.
बीबीसी ने कहा है कि यूनीसेफ के मुताबिक, गलत सूचना, टीकाकरण को लेकर मन में उठने वाले संदेह और सही समय पर टीका के पहुंच के अभाव में इसे लेने की दर में कमी आई है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा के प्रमुख साइमन स्टीवंस ने कहा है कि महज एक साल के अंदर इंग्लैंड में खसरे की बीमारी में चार गुना इजाफा हुआ है. उन्होंने परिवारों से आग्रह करते हुए कहा कि इसका वैक्सीनेशन जरूर करवाए.
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बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार साइमन ने उन लोगों को "बढ़ते सार्वजनिक स्वास्थ्य टाइम बम" कहा जो टीका लेने से कतराते हैं या इंकार करते हैं. यूनीसेफ की इस रिपोर्ट से यह साफ तौर पर पता चलता है कि साल 2010 से 2017 के बीच यहां करीब 16.9 करोड़ बच्चों को खसरे का पहला टीका नहीं दिया गया.
इस लिस्ट में सबसे ऊपर अमेरिका है जहां 2,593,000 बच्चों को यह टीका नहीं लग पाया. दूसरे स्थान पर फ्रांस है, जहां 600,000 बच्चे इस टीके को लेने से चूक गए. ब्रिटेन इस पंक्ति में तीसरे नंबर पर आता है जहां सात साल के व्यवधान में 527,000 बच्चों को खसरे का पहला टीका नहीं मिला. नाइजीरिया में एक साल से कम आयु वाले 40 लाख बच्चे खसरे का पहला टीका लेने से चूक गए. यूनीसेफ ने कहा है कि खसरे के दूसरे टीकाकरण के आंकड़े तो इससे भी ज्यादा खतरनाक है.