संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में शुक्रवार को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) का संबोधन उस समय सुर्खियों में आ गया, जब बड़ी संख्या में राजनयिकों ने उनके भाषण के दौरान हॉल से वॉकआउट कर दिया. यह कदम इजरायल की गाजा में सैन्य कार्रवाई के खिलाफ बढ़ते अंतरराष्ट्रीय विरोध को दर्शाता है.
नेतन्याहू ने अपने संबोधन में कहा कि इजरायल गाजा में युद्ध को “जितनी जल्दी हो सके” खत्म करेगा. उन्होंने दावा किया कि उनकी सेना ने गाजा में लाउडस्पीकर लगाए हैं ताकि फिलिस्तीनियों तक उनका संदेश सीधे पहुंचाया जा सके. इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि इज़राइली खुफिया एजेंसियों ने गाजा के फोन नेटवर्क पर कब्जा कर उनका भाषण लाइव-स्ट्रीम किया.
नेतन्याहू के भाषण का बहिष्कार
अरब और मुस्लिम देशों के प्रतिनिधियों ने सामूहिक रूप से नेतन्याहू के भाषण का बहिष्कार किया. उनके साथ कुछ अफ्रीकी और यूरोपीय देशों के प्रतिनिधि भी हॉल से बाहर चले गए. इस घटना ने दिखाया कि गाजा युद्ध को लेकर इजरायल कितना अकेला पड़ चुका है.
भाषण शुरू होते ही हॉल छोड़कर भागे डिप्लोमेट्स
Happening now at the UN General Assembly:
Diplomats walked out during Netanyahu’s speech.
He is left speaking to an empty room.
The world is no longer listening to Israel’s propaganda. pic.twitter.com/yV704rh32t
— sarah (@sahouraxo) September 26, 2025
फिलिस्तीन का पलटवार
नेतन्याहू के भाषण से एक दिन पहले फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने वीडियो संदेश के जरिए संयुक्त राष्ट्र को संबोधित किया. अमेरिका ने उन्हें वीजा देने से इनकार कर दिया था. अब्बास ने कहा कि “फिलिस्तीनी किसी भी हाल में गाजा नहीं छोड़ेंगे, चाहे उन्होंने कितनी भी तकलीफ झेली हो.”
दुनिया का रुख बदलता हुआ
नेतन्याहू के भाषण और वॉकआउट के बीच एक बड़ा बदलाव यह भी देखने को मिला कि ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा और फ्रांस जैसे देशों ने फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने का ऐलान किया. इन देशों का कहना है कि दो-राष्ट्र समाधान ही इस संघर्ष को समाप्त करने का एकमात्र रास्ता है.













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