मौलाना मसूद अजहर, हाफिज सईद और जकी-उर-रहमान लखवी भारत के शीर्ष 31 मोस्ट वांटेड आतंकियों में शामिल
पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) का संस्थापक मौलाना मसूद अजहर, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का सह-संस्थापक और जमात-उद-दावा (जेयूडी) प्रमुख हाफिज मुहम्मद सईद और मुंबई हमलों के प्रमुख अपराधी जकी-उर-रहमान लखवी भारत की 31 वांछित (मोस्ट वांटेड) आतंकवादियों की सूची में शामिल हैं.
नई दिल्ली: पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) का संस्थापक मौलाना मसूद अजहर, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का सह-संस्थापक और जमात-उद-दावा (जेयूडी) प्रमुख हाफिज मुहम्मद सईद और मुंबई हमलों के प्रमुख अपराधी जकी-उर-रहमान लखवी भारत की 31 वांछित (मोस्ट वांटेड) आतंकवादियों की सूची में शामिल हैं. इन 31 आतंकवादियों पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया है और यह भारत सरकार द्वारा विभिन्न भारत विरोधी गतिविधियों जैसे बम विस्फोटों, हत्याओं, देश की आंतरिक सुरक्षा से खिलवाड़ करने और अन्य साजिशों में शामिल होने के लिए सर्वाधिक वांछित व्यक्तियों की सूची में शामिल हैं.
इन आतंकवादियों के नामों का उल्लेख गृह मंत्रालय (एमएचए) की नवीनतम अपडेट की गई सूची में किया गया है, जो भारत के खिलाफ साजिश करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के अलावा देश की आंतरिक सुरक्षा की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हैं. यह भी पढ़े: IAF एयर स्ट्राइक पर मसूद अजहर के छोटे भाई मौलाना अम्मार ने बर्बादी का रोना रोया, बालाकोट में हुई तबाही को माना
अजहर, सईद और लखवी 31 आतंकवादियों की सूची में शीर्ष पांच में शामिल हैं, जिनमें खूंखार भारतीय गैंगस्टर से ड्रग्स के सरगना के तौर पर पहचाने जाने वाले दाऊद इब्राहिम कास्कर और प्रतिबंधित आतंकी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) का प्रमुख नेता वधावा सिंह बब्बर शामिल है.
दाऊद (65) के साथ उसके पाकिस्तान स्थित सहयोगी जावेद चिकना उर्फ जावेद दाऊद टेलर, इब्राहिम मेमन उर्फ टाइगर मेमन और शेख शकील उर्फ छोटा शकील का नाम सूची में है. सभी 1993 के बॉम्बे विस्फोटों में आरोपी हैं, जब 12 विस्फोटों की एक श्रृंखला ने 250 से अधिक लोगों की जान ले ली थी.
इस सूची में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन का प्रमुख लखबीर सिंह भी शामिल है। इसके अलावा इस सूची में खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स का रणजीत सिंह उर्फ नीता, पाकिस्तान स्थित खालिस्तान कमांडो फोर्स का परमजीत सिंह, खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स का भूपिंदर सिंह भिंडा, जर्मनी में रहने वाला खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स का एक प्रमुख सदस्य गुरमीत सिंह बग्गा, अमेरिका में रहने वाला सिख फॉर जस्टिस का एक प्रमुख सदस्य गुरपतवंत सिंह पन्नू, खालिस्तान टाइगर फोर्स का कनाडा आधारित प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर और ब्रिटेन में रहने वाला बीकेआई का प्रमुख परमजीत सिंह का नाम भी शामिल है.
इन सभी को गृह मंत्रालय ने पिछले साल एक जुलाई को नामित आतंकवादी घोषित किया था.
सूची में शामिल अन्य लोगों में साजिद मीर, यूसुफ मुजम्मिल, अब्दुर रहमान मक्की, शाहिद महमूद, फरहतुल्ला गोरी, अब्दुल रऊफ असगर, इब्राहिम अतहर, यूसुफ अजहर, शाहिद लतीफ, गुलाम नबी खान, जफर हुसैन भट, रियाज इस्माइल शाहबंदर, मोहम्मद इकबाल और मोहम्मद अनीस शेख शामिल हैं।
आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए वैश्विक निगरानी संस्था की अगली बैठक से पहले, पेरिस स्थित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ), जो इस महीने के अंत में होने वाली है, पाकिस्तान ने मसूद अजहर, रऊफ असगर और साजिद मीर के खिलाफ दो मामले दर्ज करके कार्रवाई करने का दिखावा किया है, जो कि जेईएम के शीर्ष नेता है.
पाकिस्तान ने कथित तौर पर अजहर का पता लगाने के लिए छापेमारी भी की थी, लेकिन ऑपरेशन असफल रहा, क्योंकि छापेमारी दल को केवल उसकी पत्नी और उसके बहावलपुर आवास से कुछ सहयोगी ही मिल पाए.
पाकिस्तान की एक अदालत ने इस साल जनवरी में लखवी को आतंकी वित्तपोषण के आरोप में पांच साल जेल की सजा सुनाई थी। उस पर भारत और अमेरिका द्वारा 2008 के मुंबई आतंकी हमलों की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है, जिसमें कम से कम 160 लोग मारे गए थे.
पिछले साल 70 वर्षीय कट्टरपंथी मौलवी हाफिज सईद को पाकिस्तान में साढ़े 15 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। उसने 2008 के मुंबई आतंकी हमलों को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाई थी.
मूल रूप से मुंबई के डोंगरी का रहने वाला दाऊद इब्राहिम कथित तौर पर अपने विस्तारित परिवार के साथ पाकिस्तान के कराची के एक समृद्ध समुद्र तटीय इलाके क्लिफ्टन में डी-13, ब्लॉक 4 में रहता है। हालांकि पाकिस्तान सरकार इससे इनकार करती है। दाऊद संगठित अपराध सिंडिकेट डी-कंपनी का प्रमुख है, जिसकी स्थापना उसने 1970 के दशक में मुंबई में की थी.
90 के दशक की शुरुआत से, भारत आतंकवाद के खिलाफ युद्ध लड़ रहा है, जिसने सुरक्षा बलों के कई कर्मियों सहित हजारों लोगों की जान ली है। पिछले तीन दशकों में देश ने आतंकवाद को कम करने के लिए कई कदम और उपाय किए हैं। हालांकि यह भी एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि युवाओं को कट्टरपंथ से बचाने के लिए और अधिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है.