Maldives Elections: मालदीव के चुनाव में 'इंडिया फर्स्ट' बनाम 'इंडिया आउट', जानें हिंद महासागर पर भारत बनाम चीन का समीकरण

मालदीव के लोग नया राष्ट्रपति चुनने के लिए शनिवार को वोट डाल रहे हैं. इन चुनावों में एक तरफ भारत समर्थक उम्मीदवार है तो दूसरी तरफ चीन समर्थक.मालदीव, राष्ट्रपति चुनाव के जरिए अपने देश और कुछ हद तक हिंद महासागर क्षेत्र का भविष्य तय करने जा रहा है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

मालदीव के लोग नया राष्ट्रपति चुनने के लिए शनिवार को वोट डाल रहे हैं. इन चुनावों में एक तरफ भारत समर्थक उम्मीदवार है तो दूसरी तरफ चीन समर्थक.मालदीव, राष्ट्रपति चुनाव के जरिए अपने देश और कुछ हद तक हिंद महासागर क्षेत्र का भविष्य तय करने जा रहा है. 5.21 लाख की आबादी वाले मालदीव के चुनाव मैदान में वर्तमान राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह और उनके सामने मोहमेद मुइजु हैं. सोलिह "इंडिया फर्स्ट" का नारा देते हैं. वहीं चीन के करीबी मुइजु देश में"इंडिया आउट" अभियान का हिस्सा रह चुके हैं.

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मालदीव में भारतीय सेना की एक छोटी से टुकड़ी है. कुछ टोही विमानों के साथ यह टुकड़ी हिंद महासागर पर नजर रखती है. इसमें करीब 75 लोग हैं. मुइजु, भारतीय सेना की इस टुकड़ी को देश बाहर करने का वादा करते हैं. सर्वेक्षणों में "इंडिया फर्स्ट" का नारा देने वाले सोलिह जरा आगे नजर आते हैं. लेकिन बढ़त बहुत ज्यादा नहीं है.

बानी सेंटर नाम के थिंक टैक ने अगस्त में एक सर्वे किया. 384 लोगों के बीच किए गए इस सर्वे में 21 फीसदी लोगों ने सोलिह का समर्थन किया जबकि 14 फीसदी लोग मुइजु के पक्ष में थे. 53 फीसदी लोग इन दोनों के बीच चुनाव नहीं कर सके. विश्लेषकों के मुताबिक अनिर्णय से जूझने वाले लोग ही राजनीतिक भविष्य तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे.

आम तौर पर दुनिया मालदीव को सफेद रेतीले बीचों, ट्रे पर तैरते खाने, लक्जरी रिजॉर्ट और वहां घूमते सेलिब्रिटीज के लिए जानती है. लेकिन इन तस्वीरों के पीछे डूबते मालदीव का संघर्ष है. कई द्वीपों वाले देश मालदीव में 2,83,000 वोटर हैं. पूर्व विदेश मंत्री और मानवाधिकार कार्यकर्ता अहमद शाहीद कहते हैं, "घरेलू स्तर पर मुझे नहीं लगता कि वोटरों के लिए भारत-चीन कोई बहुत ज्वलंत मुद्दा है, हालांकि कई अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों के लिए यह चिंता ही सबसे ऊपर है."

भारत बनाम चीन समीकरण

भारत और चीन हिंद महासागर को अपने नियंत्रण में रखने के लिए मालदीव में करोड़ डॉलर खर्च कर चुके हैं. इस रकम के जरिए नई दिल्ली और बीजिंग मालदीव के लोगों का दिल जीतना चाहते हैं. मालदीव में अभी सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा विदेशी कर्ज है. 6.1 अरब जीडीपी वाले देश पर जीडीपी का 113 फीसदी कर्ज चढ़ा है.

अंतरराष्ट्रीय ताकतों के चंगुल से मुक्त होगा मालदीव?

2018 के चुनावों में विपक्ष के साझा उम्मीदवार सोलिह ने प्रचंड जीत हासिल की थी. उनके पद ग्रहण समारोह में खुद भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे. लेकिन 2021 में मुइजु की अगुवाई में विपक्ष ने राजधानी माले के मेयर का चुनाव जीतकर सबको चौंका दिया. माले को हमेशा सोलिह की मालदीव डेमोक्रैटिक पार्टी का गढ़ माना जाता था.

मालदीव इतना अहम क्यों

मालदीव भारत के दक्षिणी में बसा द्वीपीय देश है. दिखने में यह द्वीप एक सीधी रेखा जैसे लगते हैं. चीन, जापान, कोरिया, सिंगापुर, विएतनाम और इंडोनेशिया से खाड़ी व यूरोप की तरफ जाने का समुद्री रूट मालदीव और भारत के बीच होकर जाता है. यह भौगोलिक लोकेशन ही मालदीव को सामरिक रूप बहुतअहम बना देती है.

मालदीव और भारत के सदियों से सांस्कृतिक, वित्तीय और सुरक्षा संबंध रहे हैं. लेकिन हाल के बरसों में चीन ने रोड एंड बेल्ट प्रोजेक्ट के जरिए वहां करोड़ों डॉलर झोके हैं. चीन आधारभूत ढांचा और ऊर्जा नेटवर्क बनाकर मालदीव को अपने प्रभाव में करना चाहता है.

सोलिह कहते हैं कि "कभी भी संकट आने पर भारत सबसे पहले हरकत में आता है. अच्छे समय में भी वह हमारे सबसे बड़े समर्थकों में शामिल है." वहीं मुइजु भारत पर मालदीव में अपना स्थायी सैन्य अड्डा बनाने का आरोप लगाते हैं. भारत इन आरोपों का खंडन करता है. नई दिल्ली मालदीव की सेना के लिए एक नौसैनिक बंदरगाह बना रही है. मालदीव के नौसैनिकों को भारत ट्रेनिंग भी देने जा रहा है.

ओएसजे/एसबी (रॉयटर्स, एएफपी)

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