इस्राएल की संसद ने सुप्रीम कोर्ट के हाथ बांधने वाले विवादित बिल को पास कर दिया है. विपक्ष का कहना है कि यह भ्रष्टाचार का आरोप झेल रहे नेतन्याहू का "निजी कानून" है.प्रधानमंत्री को पद के लिए अक्षम करार देने की सुप्रीम कोर्ट की शक्ति को कमजोर करने वाला विधेयक, गुरुवार को इस्राएली संसद में पास हो गया. रात भर की तीखी बहस के बाद गुरुवार को विधेयक के समर्थन में 61 वोट पड़े और विरोध में 47 मत. विधेयक के जरिए इस्राएल में बेसिक लॉ कहे जाने वाले अलिखित संविधान में संशोधन किया गया है.
पुराने बेसिक लॉ के मुताबिक प्रधानमंत्री को पद के लिए अक्षम करार दिया जा सकता है, लेकिन इसके लिए जरूरी आधारों का जिक्र नहीं किया गया था. साथ ही अक्षम करार दिए जाने की प्रक्रिया की स्पष्ट जानकारी भी पुराने कानून में नहीं थी. संसोधित विधेयक में कहा गया है कि प्रधानमंत्री या सरकार की दरख्वास्त पर ही अब यह प्रक्रिया चलाई जा सकेगी. इसके लिए दो तिहाई मंत्रियों का समर्थन होना चाहिए. मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य के आधार पर ही पद के लिए अक्षम घोषित करने की कार्रवाई होगी.
इस्राएल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं. विपक्ष का कहना है कि संशोधन, नेतन्याहू ने खुद को बचाने के लिए करवाया है. विपक्ष ने इसे नेतन्याहू की मदद करने वाला "निजी कानून" करार दिया है.
नेतन्याहू पर लगे गंभीर आरोप, अपना केस निपटाने के लिए कर रहे कानून में बदलाव
गाय लुरी येरुशलम में इस्राएल डेमोक्रैसी इंस्टीट्यूट में रिसर्चर हैं. वह कहते हैं, "यह कानून स्पष्ट रूप से प्रधानमंत्री को काम के लिए अक्षम घोषित करने की संभावना को सीमित कर देता है."
इस्राएल में सरकार बनाम सुप्रीम कोर्ट
इस्राएल में बीते कुछ हफ्तों से सरकार विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं. प्रदर्शनों का कारण हैं, सरकार के कथित न्यायिक सुधार. इन न्यायिक सुधारों में सुप्रीम कोर्ट को कमजोर करने और सरकार को सर्वोच्च अदालत के फैसले पलटने का अधिकार देने जैसी शक्तियां शामिल हैं. आलोचकों का कहना है कि ये सुधार, इस्राएल में लोकतंत्र को कमजोर करेंगे और सरकार को निरंकुश बनाएंगे.
तनाव भरे समय में जर्मनी का दौरा करते नेतन्याहू
दिसंबर 2022 में धुर दक्षिणपंथी पार्टियों के समर्थन से तीसरी बार इस्राएल के पीएम बने नेतन्याहू को डर था कि भ्रष्टाचार के मुकदमों के कारण उन्हें पद के लिए अक्षम करार दिया जा सकता है. हालांकि नेतन्याहू ऐसी किसी चिंता से इनकार करते हैं. 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एहुद ओलमेर्त का वाकया उनके सामने है. रिश्वत लेने के आरोप में ओलमेर्त के खिलाफ आपराधिक जांच शुरू हुई और उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा.
इस्राएल का क्वालिटी गर्वनमेंट आंदोलन एक भ्रष्टाचार विरोधी एनजीओ है. एनजीओ ने फरवरी में एक याचिका दायर की थी. कोर्ट में दायर याचिका में नेतन्याहू पर हितों के टकराव का आरोप लगाया गया था. एनजीओ का कहना है कि नेतन्याहू अभी मुकदमा झेल रहे हैं, ऐसे में उनका पीएम बने रहना, हितों का टकराव है. इसे आधार बनाकर एनजीओ ने नेतन्याहू को पद के अक्षम करार देने की मांग की.
ओएसजे/एनआर (एएफपी, रॉयटर्स)
इस्राएल की संसद ने सुप्रीम कोर्ट के हाथ बांधने वाले विवादित बिल को पास कर दिया है. विपक्ष का कहना है कि यह भ्रष्टाचार का आरोप झेल रहे नेतन्याहू का "निजी कानून" है.प्रधानमंत्री को पद के लिए अक्षम करार देने की सुप्रीम कोर्ट की शक्ति को कमजोर करने वाला विधेयक, गुरुवार को इस्राएली संसद में पास हो गया. रात भर की तीखी बहस के बाद गुरुवार को विधेयक के समर्थन में 61 वोट पड़े और विरोध में 47 मत. विधेयक के जरिए इस्राएल में बेसिक लॉ कहे जाने वाले अलिखित संविधान में संशोधन किया गया है.
पुराने बेसिक लॉ के मुताबिक प्रधानमंत्री को पद के लिए अक्षम करार दिया जा सकता है, लेकिन इसके लिए जरूरी आधारों का जिक्र नहीं किया गया था. साथ ही अक्षम करार दिए जाने की प्रक्रिया की स्पष्ट जानकारी भी पुराने कानून में नहीं थी. संसोधित विधेयक में कहा गया है कि प्रधानमंत्री या सरकार की दरख्वास्त पर ही अब यह प्रक्रिया चलाई जा सकेगी. इसके लिए दो तिहाई मंत्रियों का समर्थन होना चाहिए. मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य के आधार पर ही पद के लिए अक्षम घोषित करने की कार्रवाई होगी.
इस्राएल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं. विपक्ष का कहना है कि संशोधन, नेतन्याहू ने खुद को बचाने के लिए करवाया है. विपक्ष ने इसे नेतन्याहू की मदद करने वाला "निजी कानून" करार दिया है.
नेतन्याहू पर लगे गंभीर आरोप, अपना केस निपटाने के लिए कर रहे कानून में बदलाव
गाय लुरी येरुशलम में इस्राएल डेमोक्रैसी इंस्टीट्यूट में रिसर्चर हैं. वह कहते हैं, "यह कानून स्पष्ट रूप से प्रधानमंत्री को काम के लिए अक्षम घोषित करने की संभावना को सीमित कर देता है."
इस्राएल में सरकार बनाम सुप्रीम कोर्ट
इस्राएल में बीते कुछ हफ्तों से सरकार विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं. प्रदर्शनों का कारण हैं, सरकार के कथित न्यायिक सुधार. इन न्यायिक सुधारों में सुप्रीम कोर्ट को कमजोर करने और सरकार को सर्वोच्च अदालत के फैसले पलटने का अधिकार देने जैसी शक्तियां शामिल हैं. आलोचकों का कहना है कि ये सुधार, इस्राएल में लोकतंत्र को कमजोर करेंगे और सरकार को निरंकुश बनाएंगे.
तनाव भरे समय में जर्मनी का दौरा करते नेतन्याहू
दिसंबर 2022 में धुर दक्षिणपंथी पार्टियों के समर्थन से तीसरी बार इस्राएल के पीएम बने नेतन्याहू को डर था कि भ्रष्टाचार के मुकदमों के कारण उन्हें पद के लिए अक्षम करार दिया जा सकता है. हालांकि नेतन्याहू ऐसी किसी चिंता से इनकार करते हैं. 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एहुद ओलमेर्त का वाकया उनके सामने है. रिश्वत लेने के आरोप में ओलमेर्त के खिलाफ आपराधिक जांच शुरू हुई और उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा.
इस्राएल का क्वालिटी गर्वनमेंट आंदोलन एक भ्रष्टाचार विरोधी एनजीओ है. एनजीओ ने फरवरी में एक याचिका दायर की थी. कोर्ट में दायर याचिका में नेतन्याहू पर हितों के टकराव का आरोप लगाया गया था. एनजीओ का कहना है कि नेतन्याहू अभी मुकदमा झेल रहे हैं, ऐसे में उनका पीएम बने रहना, हितों का टकराव है. इसे आधार बनाकर एनजीओ ने नेतन्याहू को पद के अक्षम करार देने की मांग की.
ओएसजे/एनआर (एएफपी, रॉयटर्स)