नई दिल्ली, 14 अप्रैल: काबुल के एक गुरुद्वारे में सिखों पर हुए हालिया हमले के लिए गिरफ्तार किए गए तीन प्रमुख आतंकवादियों में से एक बांग्लादेशी है, जो इस्लामिक स्टेट (Islamic State) खुरासान प्रांत (आईएसकेपी) के परिवारों का रिकॉर्ड रखने और उनके बिलों का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार है. अफगान खुफिया एजेंसी ने बांग्लादेशी नागरिक मोहम्मद तनवीर का एक वीडियो जारी किया है.
इसमें आईएसकेपी के आतंकवादी हमले में उसकी भूमिका का विवरण दिया गया है, जिसमें 25 मार्च को कम से कम 25 सिखों की मौत हो गई थी. आईएसआईएस ने 2015 में अपने एक विस्तारवादी कदम के साथ 'विलायत खोरासन' (खुरासान प्रांत) बनाया. इस संगठन के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षेत्र है, जिसमें अफगानिस्तान और पाकिस्तान दोनों देशों के हिस्से शामिल हैं.
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आईएसकेपी ने तालिबान से असंतुष्ट सदस्यों की भर्ती की. परिणामस्वरूप, नंगरहार प्रांत में तालिबान और आईएसकेपी के बीच एक युद्ध छिड़ गया, जिसमें आईएसकेपी क्षेत्र को जब्त करने में सक्षम रहा. संयुक्त राज्य अमेरिका ने 13 अप्रैल 2017 को दूसरा सबसे बड़ा गैर-परमाणु बम गिराया, जिसे जीबीयू-43/ बी एयर ब्लास्ट के रूप में भी जाना जाता है.
अमेरिका द्वारा गिराए गए इस बम का उद्देश्य पूर्वी अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत के अचिन जिले में आईएसआईएस द्वारा उपयोग किए जाने वाले सुरंग परिसरों को नष्ट करने के लिए गिराया गया था. आईएसआईएस ने इस क्षेत्र में 2015 में कब्जा किया था, जो किसी अरब क्षेत्र के बाहर आईएसआईएस की पहली शाखा थी.
पिछले साल नवंबर में अफगान और नाटो गठबंधन सेना ने आईएसकेपी को निर्णायक रूप से हराया और सैकड़ों को उनके परिवारों के साथ आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया, जिनमें से अधिकांश पाकिस्तानी नागरिक थे. हाल में गिरफ्तार किए गए तनवीर ने पूछताछ के दौरान बताया कि जब वह ढाका से यहां पहुंचा तो उसने अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत के दक्षिणी जिले अचिन में आईएसकेपी के कमांडर-इन-चीफ के रूप में पदभार संभाला.
तनवीर को उसके सहयोगी अफगान से असलम फारूकी और पाकिस्तान के नागरिक अली मोहम्मद के साथ गिरफ्तार किया गया है. टेप किए गए कबूलनामे में तनवीर को यह कहते हुए सुना गया कि अचिन के गवर्नर शेख अबू-अल हसीब को लोगर वाला के रूप में भी जाना जाता है, वहीं खुफिया प्रमुख असदुल्ला ओरकजई और स्थानीय कमांडर एलिसा हैं.
आईएसकेपी के सदस्य ने कहा कि उन्हें लैपटॉप पर क्षेत्र में आईएस परिवारों का रिकॉर्ड रखने, उनके बिलों का भुगतान करने और दैनिक जरूरतों के लिए उनकी सहायता करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. उसने बताया कि पैसा ज्यादा नहीं थे और लगभग तीन हजार परिवारों को कुछ 1500 या दो हजार रुपये दिए गए. उसने इस बात का भी खुलासा किया कि कैसे उसने छह साल पुराने खाते से परिवारों की संख्या और उनके बिलों की गणना की.
उसने खुलासा किया कि लगभग 1,200 परिवार छह साल तक वहां रहे और प्रत्येक परिवार में तीन से चार सदस्य थे. उसने कहा, "मुझे नोट्स लिखने और फिर गणना करने का काम मिला. मैंने एक-डेढ़ साल में ऐसा तीन बार किया." उसने अफगान खुफिया एजेंसी को यह भी बताया कि उस समय उसके साथी मौलवी अब्दुल्ला ओरकजई और इस्माइल पंजाबी थे.