ईरान का यूरेनियम भंडार अंतर्राष्ट्रीय समझौते के तहत 10 गुना से अधिक

ईरान के पास अंतर्राष्ट्रीय समझौते के तहत तय हुई मात्रा के मुकाबले समृद्ध यूरेनियम की मात्रा अब 10 गुना से अधिक है. संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी एजेंसी ने यह जानकारी दी. उसने यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से इस समझौते से हटने की घोषणा करने के बाद उठाया था.

यूरेनियम (Photo Credits: Twitter)

तेहरान, 5 सितंबर: ईरान के पास अंतर्राष्ट्रीय समझौते के तहत तय हुई मात्रा के मुकाबले समृद्ध यूरेनियम की मात्रा अब 10 गुना से अधिक है. संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की परमाणु निगरानी एजेंसी ने यह जानकारी दी. बीबीसी के मुताबिक, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (International Atomic Energy Agency) ने कहा कि ईरान का समृद्ध यूरेनियम भंडार 2,105 किलोग्राम तक पहुंच गया है, जबकि 2015 में हुए समझौते के अनुसार, यह 300 किलोग्राम से ज्यादा नहीं हो सकता.

ईरान जोर देकर कहता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम विशेष रूप से शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है. यहां तक कि इसके बाद ईरान ने आईएईए के पर्यवेक्षकों को अपने दो पूर्व संदिग्ध परमाणु ठिकानों में से एक का निरीक्षण भी करने दिया था. एजेंसी ने कहा है कि वह इस महीने के अंत में दूसरी साइट पर से भी सैंपल लेगी. पिछले साल ईरान ने जानबूझकर 2015 में हुए परमाणु समझौते के वादों का उल्लंघन शुरू कर दिया था. 2015 में इस परमाणु समझौते पर ईरान के साथ अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, जर्मनी, फ्रांस और चीन ने भी साइन किए थे.

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ईरान ने 2019 में अनुमति से अधिक यूरेनियम का संवर्धन शुरू कर दिया था. हालांकि, यह परमाणु हथियार बनाने के लिए जरूरी स्तर से काफी कम था. परमाणु हथियार बनाने के लिए ईरान को 3.67 प्रतिशत संवर्धित 1,050 किलो यूरेनियम की जरूरत होगी. हालांकि, अमेरिका के एक समूह 'आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन' का कहना है कि बाद में इसे 90 प्रतिशत या इससे ज्यादा और संवर्धित किए जाने की जरूरत होगी. कम संवर्धित तीन से पांच प्रतिशत घनत्व वाले यूरेनियम के आइसोटोप यू-235 को ईधन की तरह इस्तेमाल करके बिजली बनाई जा सकती है, जबकि हथियार बनाने के लिए जो यूरेनियम इस्तेमाल होता है वह 90 प्रतिशत या इससे अधिक संवर्धित होता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ईरान चाहे भी, तो भी उसे संवर्धन की प्रक्रिया पूरी करने में काफी समय लगेगा. गौरतलब है कि पिछले सप्ताह ईरान ने कहा था कि उसने 'सद्भावना' के तौर पर हथियार पर्यवेक्षकों को अपने ठिकानों की जांच करने दी है, ताकि परमाणु सुरक्षा से जुड़े मामलों का समाधान किया जा सके. आईएईए ने इस बात को लेकर ईरान की आलोचना की थी कि वह गोपनीय ढंग से रखी गई परमाणु सामग्री और इससे जुड़ी गतिविधियों को लेकर सवालों के जवाब नहीं दे रहा और दो ठिकानों की जांच की अनुमति नहीं दे रहा.

अब अंतर्राष्ट्रीय निगरानी एजेंसी ने अपने एक हालिया एक बयान में कहा है कि ईरान ने एजेंसी के पर्यवेक्षकों को सैंपल लेने दिए हैं." इसने आगे कहा कि इन नमूनों की एजेंसी के नेटवर्क की प्रयोगशालाओं में जांच की जाएगी. ईरान ने पिछले साल अंतर्राष्ट्रीय परमाणु समझौते की शर्तो का पालन करना बंद कर दिया था. उसने यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से इस समझौते से हटने की घोषणा करने के बाद उठाया था.

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