अवैध तरीके से पोलैंड के रास्ते अमेरिका और यूरोप के दूसरे देशों तक जाने वालों में भारत के लोग भी हैं. विदेश विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से यह गड़बड़झाला हो रहा था. पोलैंड के उप विदेशमंत्री को बर्खास्त किया गया है.पोलैंड में चुनाव होने हैं. इसी दौरान पैसे लेकर वीजा देने के मामले ने बवाल मचा दिया है. अब तक जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक भारत समेत एशिया और अफ्रीका के कई देशों से लोगों को पोलैंड का वीजा दे कर यूरोप और अमेरिका भेजा जा रहा है. पोलैंड की सत्ताधारी लॉ एंड जस्टिस पार्टी प्रवासियोंके मुद्दे को इस चुनाव में बड़े जोरशोर से उठा रही थी लेकिन उसे अंदाजा नहीं था कि इसका ये रूप भी सामने आ सकता है. पार्टी प्रवासियों के देश में आने का विरोध करती है.
पोलैंड के अफ्रीका और एशिया के दूतावासों से पैसे लेकर वीजा देने के मामले में पार्टी की छवि को गहरा धक्का पहुंचा है. अगले महीने की 15 तारीख को देश में चुनाव होने हैं. पोलैंड में प्रवासियों को लेकर नियम काफी सख्त हैं. सत्ताधारी पार्टी इस मामले पर एक जनमतसंग्रह भी करा रही है. उसने पिछले चुनाव में भी इस मुद्दे को खूब भुनाया था.
नाव हादसे के बाद अवैध तरीके से यूरोप नहीं जाना चाहते पाकिस्तानी
पैसे लेकर वीजा
अब तक जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक पोलैंड के अधिकारियों ने मोटी रकम रिश्वत में लेकर अयोग्य लोगों को भारत और दूसरे देशों के दूतावासों से पोलैंड का वीजा दिलाया. ये लोग पोलैंड से शेंगेन वीजा लेकर यूरोप में जर्मनी और दूसरे देशों की ओर गए. इनमें से कुछ लोगों को मेक्सिको के रास्ते अमेरिका भी भेजा गया. इसके लिए बकायदा पोलैंड के दूतावासों से मल्टीइंट्री वीजा जारी किए गए. इस तरह के हरेक वीजा के लिए 35,000 से 40,000 डॉलर तक की रकम बिचौलियों की मदद से वसूली गई. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक यह सिलसिला 2021 से ही चल रहा था.
पोलैंड के एक समाचार पोर्टल ने जानकारी दी है कि मुंबई से फिल्म बनाने के नाम पर कई लोगों को वीजा दिया गया. वास्तव में इनका मकसद किसी तरह यूरोप या फिर शेंगेन वीजा की मदद से मेक्सिको के रास्ते अमेरिका जाना था. शेंगेन वीजा मिलने के बाद यूरोपीय संघ के किसी भी देश में बेरोकटोक आया जाया जा सकता है.
उप विदेश मंत्री की बर्खास्तगी
घोटाला सामने आने के बाद इस मामले से जुड़े पोलैंड के उप विदेशमंत्री पियोत्र वावरिक को बर्खास्त कर दिया गया है. अपुष्ट खबरों में कहा गया कि फिर उन्होंने आत्महत्या की कोशिश की जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया है. पूर्व मंत्री पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली और मुंबई के कॉन्सुलेटों को पत्र लिख कर लोगों को बिना बारी के जल्दी से वीजा जारी करने को कहा और इसके लिए बार बार दबाव बनाया. वावरिक को पाकिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात जैसी जगहों से कामगारों को लाने के लिए पोलैंड की नीति को आसान बनाने के लिए भी जिम्मेदार माना जाता है.
आप्रवासियों के मामले में नया समझौता कर रहा है यूरोपीय संघ
आलोचकों का कहना है कि सत्ताधारी पार्टी एक तरफ आप्रवासियों का डर दिखा कर पोलिश लोगों को सुरक्षित रखने का भरोसा दे कर उन्हें लुभाने में जुटी थी. दूसरी तरफ पार्टी की ही एक भ्रष्ट ईकाई पैसे लेकर अवैध तरीके से लोगों को यूरोपीय संघ में दाखिल करा रही थी. विपक्षी दल के नेता और सीनेट के स्पीकर टोमास ग्रॉचकी ने शुक्रवार को टीवी पर प्रसारित देश के नाम संदेश में कहा, "21वीं सदी में यह सबसे बड़ा भ्रष्टाचार का मामला है जिसका हम सामना कर रहे हैं, जिसमें सरकार सबसे ऊंचे स्तर पर शामिल है, यह हम सब के लिए सीधा खतरा है."
पोलैंड ने यूक्रेन के शरणार्थियों के लिए अपने दरवाजे खोले थे जो मोटे तौर पर श्वेत और ईसाई हैं. काले, मुसलमान और दूसरे देशों से आने वाले लोगों के प्रति पोलैंड का यह रुख नहीं रहता है. इन लोगों को देश के पारंपरिक कैथोलिक सांस्कृतिक पहचान के लिए खतरा माना जाता है. सरकार के अधिकारियों ने यह स्वीकार किया है कि कुछ गड़बड़ हुई है. अभियोजन विभाग के मुताबिक अब तक सात लोगों पर इस मामले में शामिल होने के आरोप लगे हैं. इनमें से तीन लोगों को हिरासत में लिया गया है. सत्ताधारी दल का कहना है कि सरकार दोषियों को सजा दिलाने के लिए कार्रवाई कर रही है. उनका यह भी कहना है कि इस तरह से सिर्फ 268 लोगों को वीजा दिए गए हैं, मीडिया और विपक्ष मामले को बढ़ा चढ़ा कर दिखा रहा है.
भारत और बॉलीवुड कनेक्शन
पोलिश न्यूज पोर्टल ओनेट के मुताबिक वावरिक ने निजी तौर पर भारतीय लोगों के समूहों को भारत से पोलैंड आने के लिए अस्थायी वर्क परमिट जारी करने पर जोर दिया. इन लोगों को भारतीय सिनेमा उद्योग से जुड़ा बताया गया. पोर्टल के मुताबिक इन लोगों ने 25-40 हजार अमेरिकी डॉलर की रकम इसके लिए दी थी. उन्हें उम्मीद थी कि इस वीजा के जरिये वो मेक्सिको रास्ते अमेरिका तक चले जाएंगे.
ओनेट न्यूज पोर्टल का कहना है कि उसके पास राजनयिक बातचीत और विदेश मंत्रालय के आंतरिक दस्तावेजों की जानकारी है. इसके मुताबिक भारतीयों के कई दलों की सूची विदेश मंत्रालय की तरफ से मुंबई और दिल्ली के कॉन्सुलेट को भेजी गई थी. इसके जरिए भारतीय लोगों को जल्दी से वीजा मुहैया कराने का दबाव बनाया गया. ये मामले नवंबर 2022 के हैं. एक लिस्ट 2022 के दिसंबर में भी भेजी गई. इसमें भी दर्जनों नाम शामिल थे.
पोर्टल के मुताबिक पता चला है कि इन लोगों ने किसी फिल्म में कोई काम नहीं किया था. एक शख्स जो एक्टिंग करने आया था वह फिल्म में कहीं नजर नहीं आया. इसी तरह कोरियोग्राफर के रूप में वीजा पाने वाले को खुद ही डांस करना नहीं आता था. फिल्म का प्रोड्यूसर सब्जी बेचने वाला निकला और मेकअप आर्टिस्ट इस पेशे में तो था लेकिन फिल्मों के लिए नहीं, वह एक सैलून चलाता था. पोर्टल के मुताबिक इन लोगों को गुजराती छोड़ कर कोई और भाषा भी बोलनी नहीं आती थी. विदेश विभाग के प्रवक्ता ने गुरुवार को प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा कि वह मीडिया रिपोर्टों की पुष्टि नहीं कर सकते.
ओनेट के मुताबिक वावरिक के तरफ से लिखे हर मेल में दर्जन भर से लेकर सैकड़ों नामों का ब्यौरा था. वावरिक ने इन लोगों को बॉलीवुड का क्रू सदस्य बताया था. ओनेट का दावा है कि मुंबई में राजनयिकों को शुरू से ही बहुत से वीजा आवेदनों पर संदेह था. इन लोगों को पहले एक तरफ से जाने का वीजा दिया गया. बाद में वावरिक के दबाव में इन्हें मल्टी एंट्री वीजा जारी किये गये. इसकी वजह यह थी कि केवल मल्टी एंट्री वीजा लेकर ही मेक्सिको जाया जा सकता था.
एनआर/एडी (एपी)