भारतीय कश्मीर को पहली बार मिला विदेशी निवेश
राजनीतिक उथल-पुथल और आतंकवाद के शिकार रहे भारतीय कश्मीर में पहली बार किसी विदेशी कंपनी द्वारा निवेश की तैयारी पूरी हो गई है.
राजनीतिक उथल-पुथल और आतंकवाद के शिकार रहे भारतीय कश्मीर में पहली बार किसी विदेशी कंपनी द्वारा निवेश की तैयारी पूरी हो गई है. दुबई का एमार ग्रुप वहां छह करोड़ अमेरिकी डॉलर यानी करीब पांच अरब रुपये का निवेश कर रहा है.भारतीय कश्मीर में दुबई की कंपनी एमार ग्रुप पांच अरब रुपये की लागत से एक शॉपिंग और ऑफिस कॉम्पलेक्स का निर्माण कर रही है. शॉपिंग मॉल के साथ-साथ कंपनी एक व्यावसायिक इमारत का निर्माण करेगी, जहां विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध होंगी. एमार ने क्षेत्र की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में इस बारे में ऐलान किया.
एमार ग्रुप दुबई की सबसे बड़ी निर्माण कंपनी है. उसने ही दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा का निर्माण किया है. इस कंपनी में दुबई सरकार भी हिस्सेदार है.
रविवार को हुए इस ऐलान के दौरान प्रशासन ने कहा कि इलाके को पहली बार विदेशी निवेश मिला है. पिछले हफ्ते ही भारत सरकार ने घोषणा की थी कि जम्मू और कश्मीर को वित्त वर्ष 2022-23 के पहले दस महीनों में ही रिकॉर्ड 15 अरब रुपये का निवेश मिला.
इंटरनेट खुला तो कश्मीरी युवाओं की राहें खुल गईं
भारतीय कश्मीर में निवेश के लिए विभिन्न सरकारें लगातार घरेलू और विदेशी स्तर पर कोशिशें करती रही हैं. इलाके में करीब तीन दशक से आतंकवाद जारी है, जिस कारण निवेशक वहां जाने से बचते रहे हैं. जम्मू और कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद रहा है. दोनों ही कश्मीर पर दावा करते रहे हैं. भारत का आरोप है कि पाकिस्तान इस इलाके में आतंकवाद को समर्थन देता रहा है. हालांकि पाकिस्तान इस बात से इनकार करता है.
2021 में हुआ था समझौता
इस निवेश के बारे में 2021 में दुबई और भारत के बीच समझौता हुआ था. तब भारत की केंद्र सरकार ने बताया था कि दुबई के साथ एक मेमोरैंडम ऑफ अंडरस्टैंडिग पर दस्तखत हुए जिसके तहत जम्मू कश्मीर में निवेश पर सहमति बनी. हालांकि तब इस बारे में विस्तार से नहीं बताया गया था कि समझौते की शर्तें क्या हैं और कितना निवेश किया जाएगा. इस समझौते के तहत इंडस्ट्रियल पार्क, आईटी टावर, बहुमंजिला इमारतें, एक मेडिकल कॉलेज और स्पेशियलिटी अस्पताल बनाने पर सहमति बनी थी.
इस समझौते के बाद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने एक बयान में कहा था, "जम्मू कश्मीर विकास की जिस लहर पर सवार है, उसे दुनिया ने पहचान लिया है.” उन्होंने कहा था कि दुबई की अलग-अलग संस्थाओं ने कश्मीर में निवेश में दिलचस्पी दिखाई.
रविवार को एमार प्रॉपर्टीज के सीईओ अमित जैन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि इस निवेश का चौतरफा असर होगा. उन्होंने कहा, "यह सिर्फ एक शुरुआत है. हमें लोगों को प्रेरित करना चाहिए. लोगों को हमारे नक्शे कदम पर चलना चाहिए.”
निर्माण योजना के बारे में जैन ने बताया कि उनकी कंपनी 10 लाख वर्ग फुट में मॉल बनाएगी जिसमें 500 दुकानें होंगी. श्रीनगर में भूमि पूजन के बाद जैन ने कहा, " इस मॉल से सात से आठ हजार नौकरियां पैदा होंगी.” इस मॉल को ‘मॉल ऑफ श्रीनगर' नाम दिया गया है. कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि इस परियोजना से विदेश निवेशकों में भरोसा बढ़ेगा और क्षेत्र की अर्थव्यस्था को बढ़ावा मिलेगा.
कश्मीर में हालात
2019 में भारत सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर जम्मू और कश्मीर का विशेषाधिकार समाप्त कर दिया था. उसके बाद क्षेत्र को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया. इस कदम का कश्मीर घाटी में भारी विरोध हुआ था. तब बड़ी संख्या में नेताओं और आम लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया और महीनों तक हिरासत में रखा गया. राज्य में संचार माध्यमों को बंद कर दिया गया और महीनों तक लोगों के पास इंटरनेट या फोन जैसी सुविधाएं नहीं थीं.
भारी सैन्य तैनाती वाले इस इलाके में बहुत सी पाबंदियां अब हटा ली गई हैं. इसके बाद पर्यटकों की आमद भी बढ़ी है. 2022 में कश्मीर में डेढ़ करोड़ से ज्यादा पर्यटक आए, जो 1947 में भारत के आजाद होने के बाद से एक रिकॉर्ड है.
हालांकि इस दौरान आतंकवादी गतिविधियां भी बढ़ी हैं. खासकर कश्मीरी पंडित आतंकवादियों के निशाने पर रहे हैं. गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक बीते साल 30 नवंबर तक जम्मू कश्मीर में आतंकी घटनाओं मेंकुल 14 अल्पसंख्यक मारे गए, जिनमें 3 कश्मीरी पंडित शामिल हैं. सरकार का कहना है कि पिछले पांच वर्षों में किसी कश्मीरी पंडित का घाटी से पलायन नहीं हुआ है.
वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी, एपी)