अनियमित आप्रवासियों की जर्मनी में बढ़ती संख्या से परेशान जर्मनी ने इन्हें सीमित करने के लिए कुछ नए उपायों की घोषणा की है. जर्मनी के राज्य और शरणार्थियों को बोझ उठाने में असमर्थता जता रहे हैं.जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स और सभी 16 राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने बुधवार को देश में आप्रवासियों की बढ़ती संख्या से निपटने के लिए नये कदमों को मंजूरी दी है.
पहले चार महीनों में ही इस साल जर्मनी में शरण के लिए 101,981 आवेदन दाखिल किये गये हैं. यह पिछले साल के समान अवधि में किये गये आवेदनों से 78 फीसदी ज्यादा है. पिछले साल जर्मनी में शरण के लिए कुल 218,000 लोगों ने आवेदन दिये. 2015-16 के बाद यह संख्या सबसे ज्यादा है. सबसे ज्यादा शरण मांगने वालों में सीरिया और अफगानिस्तान के लोग हैं. इसके बाद तुर्की और इराक के लोगों की संख्या है.
संख्या सीमित करने के उपाय
बुधवार को केंद्र और राज्य सरकारों के बीच हुई सहमति में आईटी सिस्टम को आधुनिक बनाना भी शामिल है. इसका मकसद शरण के आवेदनों की प्रक्रिया को तेज बनाना है. फिलहाल शरण की प्रक्रिया पूरी होने में औसतन 26 महीने का समय लगता है. प्रक्रिया तेज होने से शरण पाने में नाकाम लोगों को वापस उनके देश जल्दी भेजा जा सकेगा. इसके साथ ही आप्रवासियों को हिरासत में रखने के लिए अधिकतम दिनों की संख्या 10 से बढ़ा कर 28 दिन कर दी गई है. इसका मकसद संभावित निष्कासन को आसान बनाना है.
चांसलर शॉल्त्स ने पत्रकारों से कहा कि जर्मनी में आने वाले नये प्रवासियों के मूल देशों के साथ "नई प्रवासी साझीदारियां" हासिल करने की कोशिश की जायेगी. उनका यह भी कहना है कि ये साझीदारियां अनियमित आप्रवासियों की वापसी के बदले में "सुयोग्य कर्मियों" के आने में मदद करेंगी.
क्यों होता है विस्थापन और पलायन
सीमा पर चेकिंग फिलहाल नहीं
संघीय सरकार और राज्यों ने पड़ोसी देशों के साथ सीमा पर स्थायी रूप से चेकिंग को फिलहाल लागू करने से मना किया है हालांकि इसे भविष्य के लिए खारिज नहीं किया है. फिलहाल जर्मनी में सिर्फ ऑस्ट्रिया की सीमा से आने वाले हर व्यक्ति की चेकिंग होती है. इस व्यवस्था का जिक्र करते हुए शॉल्त्स ने कहा, "इसी तरह के उपाय" दूसरे पड़ोसी देशों के साथ स्थिति के मुताबिक किये जाएंगे.
जर्मनी की सीमा ऑस्ट्रिया के अलावा बेल्जियम, चेक रिपब्लिक, डेनमार्क, फ्रांस, लग्जमबर्ग, नीदरलैंड, पोलैंड और स्विट्जरलैंड के साथ लगती है. यूरोपीय संघ के शेंनगेन इलाके में आवाजाही पर कोई रोकटोक नहीं है. इन देशों की सीमा पर चेकिंग सिर्फ असाधारण स्थितियों में की जाती है.
जर्मनी का नया संकट, इतनी आबादी पहले कभी नहीं रही
केंद्र सरकार ने राज्यों को शरणार्थियों के लिए एक अरब यूरो की रकम देने का भी वादा किया है. इसके साथ ही एक कार्यसमूह बनाया जाएगा जो लंब समय के लिए समाधान पर काम करेगा. राज्यों के मुख्यमंत्री ज्यादा मदद और पैसे की मांग कर हैं ताकि नये आने वाले लोगों के लिए सुविधायें बनाई जा सकें. कई राज्यों में अब ऐसी जगह नहीं बची है जहां शरणार्थियों को रखा जा सके. ऐसी स्थिति में उन्हें इन लोगों के लिए अस्थायी आवास बनाने पर मजबूर होना पड़ा है.
शॉल्त्स का कहना है कि जर्मनी के लिए, "अनियमित आप्रवासन को नियंत्रित और सीमित करना प्राथमिकता है."
हाल के वर्षों में ज्यादा आप्रवासियों के जर्मनी में आने का एक नतीजा धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी के लिए बढ़ते समर्थन के रूप में भी सामने आया है. खासतौर से पूर्व साम्यवादी पूर्वी जर्मनी में. आप्रवासी विरोधी पार्टी को पिछले आम चुनाव में करीब 10.3 फीसदी वोट मिले थे जो अब 15 फीसदी तक वोट हासिल करने में सक्षम हो गई है.
एनआर/आरएस (एएफपी)