जर्मनी ने साइबर हमलों के लिए रूस पर लगाए आरोप
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

जर्मनी और चेक गणराज्य ने हाल के साइबर हमलों का आरोप रूस पर लगाया है. यूरोपीय संघ ने इसके बाद रूस को नतीजे भुगतने की चेतावनी दी है. जर्मनी ने रूसी राजदूत को तलब किया है.यूक्रेन पर हमलों के बाद से ही रूस के साथ जर्मनी और पश्चिमी देशों के रिश्तों में तनाव बना हुआ है. अब जर्मनी समेत कई देशों में साइबर हमलों के पीछे भी रूस का हाथ होने के आरोप सामने आए हैं.

जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने कहा है कि सरकार की तरफ से कराई गई जांच के नतीजे में पता चला है कि 2023 के जिन साइबर हमलों में सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी (एसपीडी) के सदस्यों को निशाना बनाया गया था, उसे एपीटी28 नाम के गुट ने अंजाम दिया था. एसपीडी जर्मनी के सत्ताधारी गठबंधन में शामिल सबसे बड़ी पार्टी है.

रूस के हाइब्रिड हमलों से कैसे निपटेगा जर्मनी

ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गईं विदेश मंत्री बेयरबॉक ने पत्रकारों से कहा कि एपीटी28, "रूस की मिलिट्री इंटेलिजेंस सेवा चलाती है." बेयरबॉक ने यह भी कहा, "दूसरे शब्दों में यह जर्मनी पर सरकार प्रायोजित साइबर हमला था, जो बिल्कुल असहनीय और अस्वीकार्य है, और इसके नतीजे दिखेंगे." इसके बाद जर्मनी ने बर्लिन में रूस के कार्यवाहक राजदूत को समन किया.

एपीटी28 या फैंसी बेयर

एपीटी28 को फैंसी बेयर भी कहा जाता है. इस पर दुनिया भर के देशों में दर्जनों साइबर हमले करने के आरोप हैं. फैंसी बेयर के चर्चित कांडों में से 2015 का वह साइबर हमला भी शामिल है जब जर्मन संसद के निचले सदन बुंडेसटाग का कंप्यूटर नेटवर्क ठप्प हो गया था. इसकी वजह से कई दिनों तक संसद का कामकाज ऑफलाइन रहा.

रूस के जासूसी प्रकरण ने जाहिर कर दी जर्मन सेना की कमजोरी

रूस इन गतिविधियों के पीछे हाथ होने से इनकार करता है. जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स की पार्टी एसपीडी पर साइबर हमलों की जानकारी पिछले साल आई थी. इसके लिए पहले इन हमलों के लिए माइक्रसॉफ्ट आउटलुक की अज्ञात कमजोरी को जिम्मेदार माना गया था.

जर्मन गृह मंत्री नैंसी फेजर का कहना है कि साइबर अभियान रूस की सैन्य खुफिया सेवा जीआरयू ने चलाया था और यह 2022 में शुरू हुआ. इसने हथियार बनाने वाली और एयरोस्पेस कंपनियों को भी निशाना बनाया था.

रूस को चेतावनी

प्राग में चेक समकक्ष विक राकुसान के साथ एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में फेजर ने कहा कि इस तरह के साइबर हमले, "हमारे लोकतंत्र, राष्ट्रीय सुरक्षा और मुक्त समाजों के लिए खतरा हैं. हम रूस से एक बार फिर कहते हैं कि इस तरह की गतिविधियां बंद करे."

चेक सरकार के अधिकारियों का कहना है कि कुछ सरकारी संस्थाओं को साइबर हमले का निशाना बनाया गया था, जिसका आरोप एपीटी28 पर है. उसने माइक्रोसॉफ्ट आउटलुक की कमजोरी का फायदा उठाया है. चेक गृह मंत्री राकुसान का कहना है कि उनके देश ने इस तरह के दर्जनों हमले हाल में झेले हैं.

जर्मनी और चेक गणराज्य की इस खोज के बाद यूरोपीय संघ ने इन हमलों की कड़ी निंदा की है. यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल ने एक बयान जारी कर कहा है, "दुर्भावनापूर्ण साइबर अभियान साइबर स्पेस में रूस के लगातार गैरजिम्मेदाराना व्यवहार को दिखाता है, इसमें यूरोपीय संघ और उसके पार के देशों में लोकतांत्रिक संस्थाओं, सरकारी एजेंसियों और अहम बुनियादी ढांचा मुहैया कराने वालों को निशाना बनाया गया है. बोरेल ने यह भी कहा कि यूरोपीय संघ, "साइबर स्पेस में रूस की दुर्भावनापूर्ण रवैये को रोकने, उसका निवारण और जवाब देने के लिए सभी तरह के उपाय करेगा."

बयान में कहा गया है कि पोलैंड, लिथुआनिया, स्लोवाकिया और स्वीडन समेत कई देशों को एपीटी28 ने निशाना बनाया है. इससे एक दिन पहले ही नाटो ने रूस के "हाइब्रिड एक्शन" पर "गहरी चिंता" जताई थी. इनमें भ्रामक जानकारी देने, तोड़फोड़ और साइबर दखलंदाजी जैसी गतिविधिया शामिल हैं. यह मामला ऐसे समय में उठा है जब करोड़ों यूरोपवासी जून में होने वाले चुनाव के लिए मतदान की तैयारी कर रहे हैं.

एनआर/आरपी (एएफपी, डीपीए)