रूस के डर से ईयू में शामिल होना चाहता है मोल्डोवा

मोल्डोवा का रूस के साथ कोई बॉर्डर नहीं है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

मोल्डोवा का रूस के साथ कोई बॉर्डर नहीं है. लेकिन फिर भी वहां रूसी सेना तैनात है. मोल्डोवा को डर है कि कहीं वह रूस का अगला निशाना न बने.मोल्डोवा "जल्द से जल्द" यूरोपीय संघ में शामिल होना चाहता है. मोल्डोवा की राष्ट्रपति माया सांदू को उम्मीद है कि "आने वाले महीनों में" ईयू की मेम्बरशिप लेने के लिए होने वाली बातचीत पर फैसला हो जाएगा. यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद मोल्डोवा को भी मॉस्को से डर लग रहा है.

यूरोपीय संघ की तरफ पश्चिमी बाल्कन देशों ने बढ़ाया कदम

पूर्वी यूरोप का देश मॉल्डोवा, यूक्रेन और रोमानिया के बीच में स्थित है. 26 लाख की आबादी वाला ये छोटा सा देश एक जून को वाइडर यूरोप सम्मेलन आयोजित करने जा रहा है. इस दौरान यूरोपीय संघ के 27 देशों के प्रतिनिधि और ईयू के 20 पड़ोसी देशों के अधिकारी मौजूद रहेंगे. मोल्डोवा इस मौके को ईयू के दरवाजे खोलने के लिये इस्तेमाल करना चाहता है.

मोल्डोवा का परेशान करने वाला इलाका

सांदू को लगता है कि ईयू की सदस्यता ही उनके देश को रूस का अगला निशाना बनने से बचा सकती है. 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन में रूसी सेना के घुसने के बाद, मोल्डोवा ने बड़ी संख्या में यूक्रेनी शरणार्थियों को पनाह दी. मोल्डोवा में आज भी ट्रांसनिस्ट्रिया नाम का बफर जोन इलाका है.

नाटो में शामिल हुआ फिनलैंड

ट्रांसनिस्ट्रिया में करीब 30,000 रूस समर्थक लोग रहते हैं. वहां कम संख्या में रूसी सेना आज भी तैनात है. मोल्डोवा की राष्ट्रपति, बार बार रूस से ट्रांसनिस्ट्रिया से अपनी सेना हटाने की मांग कर चुकी हैं, लेकिन 1992 से जारी यह मसला फिलहाल हल होता नहीं दिख रहा है.

रूसी संविधान के मुताबिक विदेशी जमीन पर रहने वाले रूसियों के अधिकारों की रक्षा करना रूस की जिम्मेदारी है. इसी अनुच्छेद का हवाला देकर रूस ने 2014 में क्रीमिया और पूर्वी यूक्रेन में कार्रवाई की.

यूक्रेन युद्ध का असर

सांदू कहती हैं, "निश्चित रूप से यूक्रेन में जो हो रहा है उसकी तुलना किसी और से नहीं की जा सकती, लेकिन हमें जोखिम दिखते हैं और हम यकीन है कि ईयू का हिस्सा बनकर ही हम अपने लोकतंत्र को बचा सकते हैं."

आइसलैंड में काउंसिल ऑफ यूरोप के सम्मेलन के दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए सांदू ने कहा, "हमें लगता है कि रूस आने वाले वर्षों में भी इस इलाके में अस्थिरता का बड़ा स्रोत बना रहेगा और हमें अपनी रक्षा करनी होगी.

50 साल की सांदू 2020 से मोल्डोवा की राष्ट्रपति हैं. राष्ट्रपति बनने के बाद वह पहले विदेशी दौरे में यूक्रेन गई थीं. इस साल फरवरी में उन्होंने रूस पर मोल्डोवा में तख्ता पलट की योजना बनाने का आरोप लगाया. राजनीति में आने से पहले अर्थशास्त्री रह चुकी सांदू अपनी मातृभाषा रोमैनियन के साथ साथ अंग्रेजी और रूसी भाषा भी जानती हैं. सर्वेक्षण दिखा रहे हैं कि मोल्डोवा का ज्यादातर लोग यूरोपीय संघ में शामिल होने के पक्ष में हैं. सांदू कहती हैं, "यूक्रेन युद्ध ने चीजों को ब्लैक एंड व्हाइट बना दिया है. हमारे सामने यह पूरी तरह साफ हो चुका है कि आजाद दुनिया क्या है और तानाशाही दुनिया क्या है."

ईयू में शामिल होना कितना आसान

मोल्डोवा और यूक्रेन ने जून 2022 में ईयू की सदस्यता के लिये आवेदन किया. उसी दौरान जॉर्जिया भी यह प्रक्रिया शुरू की. ये तीनों देश सोवियत संघ का हिस्सा रह चुके हैं.

यूक्रेन को सदस्यता के लिए प्रक्रिया तेज नहीं होगीः ईयू

यूरोपीय संघ की सदस्यता की प्रक्रिया लंबी है. आवेदन करने वाले देशों को अपनी आर्थिक, न्यायिक, वित्तीय और प्रशासनिक प्रणाली में यूरोपीय संघ के मेल खाने वाले बदलाव करने पड़ते हैं. इस प्रक्रिया में एक दशक लंबा समय भी लग सकता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि यूक्रेन के मुकाबले मोल्डोवा की राह ज्यादा आसान दिखती है. छोटा देश होने के कारण मोल्डोवा आसानी से यूरोपीय संघ के साथ घुल मिल सकता है. लेकिन इसके लिए मोल्डोवा को अपने लोकतांत्रिक मानकों को यूरोपीय संघ जितना ऊंचा करना होगा, खासतौर पर भ्रष्टाचार से लड़ने में भी अपनी छवि बेहद मजबूत करनी होगी.

रूस नहीं चाहता है कि उसके पड़ोसी और सोवियत संघ के सदस्य रह चुके देश यूरोपीय संघ या नाटो का हिस्सा बनें. लेकिन यूक्रेन युद्ध के बाद 2023 में फिनलैंड नाटो का सदस्य बन चुका है. अब कई और देश तटस्थता की नीति त्यागकर पश्चिम की ओर झुकते दिख रहे हैं.

ओएसजे/सीके (एएफपी)

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