नई दिल्ली: फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने जून में टेरर फंडिंग (आतंकवाद को वित्त पोषण करने) रोकने में नाकाम रहने पर पाकिस्तान (Pakistan) को फटकार लगाई थी और अक्टूबर तक मानदंडों पर खरा नहीं उतरने की स्थिति में कार्रवाई की धमकी दी थी. सात औद्योगिकी देशों (जी-7) द्वारा 1989 में गठित संगठन एफएटीएफ का काम टेरर फंडिंग और धन शोधन पर रोक लगाना है.
एफएटीएफ ने कहा था कि पाकिस्तान इन मुद्दों पर इस साल जनवरी और मई तक कार्रवाई करने में असफल रहा है. वैश्विक संस्था ने चेतावनी दी थी, "एफएटीएफ दृढ़ता के साथ पाकिस्तान से अपनी कार्रवाई अक्टूबर 2019 तक पूरी करने के लिए कहता है, जब कार्य योजनाओं का अंतिम भाग खत्म होने वाला है. अन्यथा एफएटीएफ तब अपर्याप्त प्रगति के लिए अगला कदम उठाएगा."
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पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे सूची में पहले से ही है, जिसका मतलब है कि उस पर निगरानी चल रही है और उस पर काली सूची में डाले जाने का खतरा है, जिसके बाद उसे आईएमएफ और विश्व बैंक जैसे अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से आर्थिक सहयोग या ऋण नहीं मिलेगा. यह मामला पेरिस में रविवार से 18 अक्टूबर तक चलने वाली एफएटीएफ की बैठक में देखा जाएगा.
जून में बैठक के बाद एफएटीएफ ने कहा था कि पाकिस्तान को सभी 1267 और 1367 घोषित आतंकवादियों और उनके सहयोगियों के खिलाफ लक्षित वित्तीय प्रतिबंधों का प्रभावी क्रियान्वयन दिखाना चाहिए. इस क्रियान्वयन के तहत उनकी संपत्तियों को जब्त करने (चल या अचल) और उन्हें आर्थिक मदद या आर्थिक सेवाओं से वंचित करना भी शामिल है.
1267 का संबंध संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध कमेटी से है, जिसने पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर और लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हाफिज सईद को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर उनके संगठनों को प्रतिबंधित कर दिया है. एफएटीएफ ने कहा कि पाकिस्तान को यह भी दिखाना होगा कि उसने संबंधित व्यक्ति को अपने संसाधनों और संसाधनों के उपयोग से वंचित किया है.