फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के फैसले से इमरान खान (Imran Khan) के हाथ एक बार फिर मायूसी लगी है. पाकिस्तान अपनी तमाम कोशिशों के बावजूद FATF की 'ग्रे लिस्ट' से बाहर निकलने में असफल रहा. पाकिस्तान FATF की 'ग्रे लिस्ट' में ही बना रहेगा. पाकिस्तान को जून 2020 तक का समय दिया गया है. इस समय अवधि में पाक को 27 प्वाइंट एक्शन प्लान को पूरा नहीं करता है तो उसे 'ब्लैक लिस्ट' में डाल दिया जाएगा और अगर पाकिस्तान इसमें कामयाब हो जाता है उसके पास तो 'ग्रे लिस्ट' से बाहर आने का मौका है. ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए पाकिस्तान को जून तक FATF की सभी शर्तों पर काम पूरा करना होगा. जून तक अगर पाकिस्तान FATF की सभी मांगों को पूरा नहीं कर पाता है तो उसे 'ब्लैक लिस्ट' में डाल दिया जाएगा.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एफएटीएफ के कार्य समूह की कई बैठकों में पाकिस्तान के प्रदर्शन की कार्ययोजना की समीक्षा की गई. जिसके बाद एफएटीएफ ने पाकिस्तान के 'ग्रे लिस्ट' की अवधि को चार महीने के लिए बढ़ा दिया. अब पाकिस्तान के पास जून 2020 तक का समय है. अब FATF की अगली बैठक जून में होगी. जिसमें पाकिस्तान द्वारा आतंकी वित्तपोषण, मनी लांड्रिंग और आतंकी सरगनाओं के खिलाफ की गई कार्रवाई की गहन समीक्षा की जाएगी.
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अब देखना यह होगा कि जून तक पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज आता है या नहीं. जून तक आतंकी फंडिग और आतंकी गतिविधियों के खिलाफ पाकिस्तान क्या कदम उठाता है. FATF की तरफ से पाकिस्तान को कड़े निर्देश दिए गए हैं. इन चार महीनों में पाकिस्तान को FATF की सभी शर्तों पर खरा उतरना होगा नहीं तो पाकिस्तान 'ब्लैक लिस्ट' में आ जाएगा.
बता दें कि आतंकवाद को समर्थन देने के कारण फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने पिछले साल अक्टूबर में उसे ग्रे-लिस्ट में डाल दिया था. पाकिस्तान को आतंकी फंडिग पर रोक लगाने के लिए अक्टूबर 2019 तक का समय दिया गया था, बाद में अक्टूबर 2019 में FATF ने पाकिस्तान को 27 सूत्री एक कार्य योजना को लागू करने का फरमान देते हुए फरवरी तक ग्रे लिस्ट में रखने का फैसला लिया. अब पाकिस्तान को जून 2020 तक समय दिया गया है.