H1B Visa Row: डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ ली और अब उनकी नई सरकार के कड़े आव्रजन कानून लागू करने की तैयारी है. इस दौरान उनके रिपब्लिकन पार्टी के भीतर H-1B वीजा को लेकर मतभेद सामने आ रहे हैं. यह वीजा उन विदेशी पेशेवरों के लिए है जो विशेष क्षेत्रों जैसे कि तकनीकी क्षेत्र में काम करते हैं. H-1B वीजा अमेरिका में विदेशी श्रमिकों को तकनीकी और विशेष क्षेत्रों में काम करने का अवसर देता है. यह वीजा 3 साल के लिए जारी होता है, जिसे 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है.
वीजा धारकों को ग्रीन कार्ड आवेदन के तहत अपनी अवधि बढ़ाने की भी अनुमति मिलती है. हालांकि, नौकरी खोने की स्थिति में H-1B धारकों को 60 दिनों के भीतर नई नौकरी ढूंढनी होती है या देश छोड़ना पड़ता है.
रिपब्लिकन पार्टी में मतभेद
H-1B वीजा को लेकर ट्रंप समर्थकों के बीच मतभेद साफ दिख रहा है. जहां एलन मस्क जैसे उद्योगपति इसे समर्थन दे रहे हैं, वहीं स्टीव बैनन जैसे आलोचक इसे बंद करने की वकालत कर रहे हैं. मस्क ने इस कार्यक्रम का समर्थन करते हुए इसे अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी बताया. वहीं, बैनन ने H-1B को "धोखा" बताते हुए कहा कि यह अमेरिकियों के रोजगार के अवसर छीनता है.
H-1B पर ट्रंप का रुख
डोनाल्ड ट्रंप ने न्यूयॉर्क पोस्ट को दिए इंटरव्यू में कहा, "H-1B वीजा एक शानदार कार्यक्रम है. मैंने इसका कई बार इस्तेमाल किया है." हालांकि, 2017-2021 के अपने पहले कार्यकाल में ट्रंप ने इस वीजा को सीमित करने की कोशिश की थी.
कौन होगा प्रभावित?
H-1B वीजा धारकों में सबसे ज्यादा भारतीय पेशेवर हैं, जिन पर यह नीति सीधे असर डालेगी. टेक सेक्टर में छंटनी के कारण पहले से ही कई H-1B वीजा धारक अपनी कानूनी स्थिति बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. H-1B वीजा पर चल रही यह बहस विदेशी पेशेवरों और अमेरिकी उद्योगों पर बड़ा प्रभाव डाल सकती है. ट्रंप प्रशासन की नई नीतियों से वीजा धारकों को सतर्क रहने और अपने अधिकारों को समझने की जरूरत है.













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