Corona Vaccine Update: वैक्सीन के बिना कैसे हल होगा वैश्विक कोरोना संकट?
कोरोना वैक्सीन (Photo credits: PTI)

बीजिंग, 5 मई : कोरोना महामारी (Corona Epidemic) विश्व के कई देशों में कहर मचा रही है. हालांकि कुछ देशों ने सख्त उपायों व टीकाकरण (Vaccination) के सहारे इस संकट को बहुत हद तक काबू करने में सफलता पाई है. जैसा कि डब्ल्यूएचओ का भी कहना है कि वायरस के खतरे को समाप्त करने के लिए सतर्क रहने की जरूरत है. इसके साथ ही वैक्सीन लगाने के काम में भी तेजी लानी होगी. हालांकि तमाम देश ऐसे भी हैं या तो वहां टीके पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं या फिर नागरिक वैक्सीन लगवाने को लेकर ज्यादा उत्सुक नहीं हैं. अगर इस संदर्भ में चीन का उल्लेख करें तो उसने वैक्सीन तैयार होने से पहले ही कई तरह के सख्त कदम उठाए. इसका नतीजा यह हुआ कि चीन में कोविड-19 वायरस (Covid-19 virus) को लगभग नियंत्रण में कर लिया गया है. इसके साथ ही वैक्सीन उत्पादन के बाद भी चीन ने ढिलाई नहीं बरती. चीन ने न केवल अपने देश के नागरिकों को टीके लगाए, बल्कि अन्य देशों को भी मदद पहुंचाई.

बताया जाता है कि चीन में अब तक लोगों को करीब 28 करोड़ खुराकें दी जा चुकी हैं. इसके अलावा चीनी टीके विभिन्न देशों में वायरस के खिलाफ लड़ाई में बहुत अहम भूमिका निभा रहे हैं. खासकर ऐसे देश जिनके पास संसाधनों की कमी है, उनके लिए चीन द्वारा तैयार साइनोवैक व साइनोफार्म वैक्सीन किसी संजीवनी से कम नहीं कही जा सकती. ऐसे वक्त में जब भारत आदि देश कोरोना महामारी की नई लहर से परेशान हैं, वैश्विक सहयोग की जरूरत और बढ़ गई है, क्योंकि वायरस न किसी देश की सीमा को मानता है और न जाति या धर्म को. इस संकट की घड़ी में सक्षम देशों को आगे आने की जरूरत है. हालांकि हमने देखा है कि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया व कनाडा आदि पश्चिमी देश वैक्सीन की खूब जमाखोरी कर रहे हैं. लेकिन जरूरतमंद देशों को सहायता देने के लिए कुछ भी नहीं कर रहे हैं. यह भी पढ़ें : देश में 24 घंटे में COVID के 3 लाख 82 हजार 315 नए मामले, 3780 लोगों ने गंवाई जान

अगर ये बड़े व विकसित देश महामारी से जूझ रहे देशों को मदद का हाथ बंटाते हैं तो स्थिति बदल सकती है. हालांकि भारत में महामारी के बिगड़ते हालात के बीच इन देशों ने सहायता देनी शुरू की है, परंतु वैक्सीन मुहैया कराने के मामले वे पीछे ही है. अमेरिका का उदाहरण दें तो व्यापक अंतर्राष्ट्रीय दबाव के बाद वह वैक्सीन बनाने के कच्चे माल से प्रतिबंध हटाने को तैयार हो गया है. लेकिन उसके पास करोड़ों खुराकें अतिरिक्त जमा हैं, जिन्हें भारत या अन्य देशों को देने के लिए अमेरिका नहीं मान रहा है. जाहिर है कि महामारी पर पूरी तरह से नियंत्रण करने में टीकाकरण की भूमिका को कम नहीं आंका जा सकता. हालांकि यह अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के बिना संभव भी नहीं लगता है, क्योंकि किसी एक देश में भी वायरस अगर जि़ंदा रहा तो पूरी दुनिया चैन से नहीं सो पाएगी. ऐसे में अच्छा यही होगा कि विकसित देश मदद के लिए आगे आएं.